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13. सम्यग् ज्ञान
A. (अ) आठ कर्म के नाम, भेद एवं चित्र
कर्म के नाम भेद
किसके जैसा
बंध का कारण
आँख पर पट्टी
ज्ञान, ज्ञानी की आशातना करने पर । दर्शन के उपकरण की आशातना से I
द्वारपाल
मधु लिप्त तलवार
मदिरा
ज्ञानावरणीय
दर्शनावरणीय
वेदनीय
मोह
आयुष्य
नाम
गोत्र
अंतराय
5
9
2
28
4
103
2
5
बेडी (सांकल)
चित्रकार
कुम्हार
भंडारी
जीवों को दुःख देने से।
आरंभ-समारंभ एवं उन्मार्ग देशना, साधु की
निंदा, राग- द्वेष से ।
आरंभ-समारंभ एवं कषाय करने पर ।
शुभ-अशुभ कार्य करने पर ।
पर-निंदा, स्व-प्रशंसा करने पर ।
दान, शीलादि में अंतराय करने पर ।
1. प्रश्न कर्म किसको कहते हैं ?
उत्तर आत्मा के साथ कार्मण वर्गणा का एकमेक होना कर्म है।
2. प्रश्न जड़ कर्मों का आत्मा पर कैसे प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर
जिस प्रकार ब्राह्मी औषधि के सेवन से बुद्धि विकसित होती है और मदिरापान से बुद्धि विकृत होती है। ठीक उसी प्रकार आत्मा पर कर्म का प्रभाव पड़ता है।
3. प्रश्न बंध किसे कहते हैं ?
उत्तर
आत्मा के साथ कर्म का जुड़ना । जैसे दूध - पानी के साथ एक हो जाता है वैसे ही आत्मा के साथ कर्म का बंध होता है ।
4. प्रश्न कर्म बंध के मुख्य कारण कितने हैं और कौन-कौन से ?
उत्तर कर्म बंध के मुख्य कारण चार हैं। मिथ्यात्व, अविरति, कषाय और योग ।
5. प्रश्न कर्म कितने प्रकार के हैं और कौन-कौन से ?
उत्तर
कर्म आठ प्रकार के हैं। ज्ञानावरणीय, दर्शानावरणीय, वेदनीय, मोहनीय, आयुष्य, नामकर्म, गोत्रकर्म, अंतराय कर्म । इन आठों कर्मों को दृष्टांत के द्वारा समझ सकते हैं। ज्ञानचंद सेठ दर्शन करने गए, मार्ग में उनके पेट में वेदना होने लगी। सामने उनके मित्र मोहनजी वैद्यराज मिले, उन्होंने कहा जल्दी इलाज करवाओ नहीं तो आयुष्य पूर्ण हो जाएगा, मैं दवाई लाऊँ तब . भगवान का नाम लो और गौत्र देवता को याद करो आपका अंतराय कर्म दूर हो जाएगा। 6. प्रश्न किस कर्म के उदय से जीव सत्य स्वरूप को नहीं जान सकता है ?
उत्तर मिथ्यात्व मोहनीय कर्म के उदय से ।
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