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________________ देवों द्वारा किए गए 19 अतिशयः 1. तीर्थंकर देव के ऊपर आकाश में चमकता हुए धर्मचक्र चलता है। 2. आकाश में और प्रभु के दोनो तरफ में सफेद चामर वींझायमान होते है। 3. आकाश में पादपीठ युक्त उज्जवल सिंहासन चलता है। 4. भगवान के मस्तक के ऊपर तीन छत्र होते है। 5. आकाश में एक हजार योजन ऊँचा रत्नमय धर्मध्वज भगवान के आगे चलता है। 6. भगवान सोने के नौ कमलों पर चलते है। 7. देव चाँदी, सोना और रत्न का तीन गढ़ वाला समवसरण बनाते है। 8. पूर्व दिशा में स्वयं प्रभु बैठकर देशना देते है एवं बाकी तीन दिशा में देव प्रभु का प्रतिबिंब स्थापित करते है। 9. भगवान की ऊँचाई से 12 गुणा ऊँचा अशोक वृक्ष (चैत्य वृक्ष सहित) देव बनाते है। 10. देव दुंदुभी का नाद करते है। 11. भगवान को दाढी-मूंछ के बाल बढते नहीं। 12. कम से कम एक करोड देव भगवान के साथ होते है। 13. मार्ग में आने वाले कांटे उल्टे हो जाते है। 14. वृक्ष और डालियाँ झुककर नमन करते है। 15. अनुकूल पवन चलता है। 16. पक्षी प्रदक्षिणा करते है। 17. सभी ऋतु अनुकूल और मनोहर होती है। 18. सुंगधी जल की वृष्टि होती है। 19. छ: ऋतु के पंचरंगी दिव्य फूलों की वृष्टि होती है। चौमासी चौदस के देववंदन के स्तवन में इन चौतीस अतिशयों को सुंदर रुप से समझाया गया है। प्रश्न: अरिहंत परमात्मा का विशिष्ट गुण कौन सा ? उत्तर: अरिहंत परमात्मा का विशिष्ट गुण है मार्गोपदेशकता: विश्व के जीवों के आत्मकल्याण का सच्चा मार्ग प्रभु उपदेश द्वारा बताते है। इसलिए वे जिनशासन की स्थापना करते है। जिनशासन रुपी तीर्थ की स्थापना करने से वे तीर्थंकर भी कहलाते है। संसार रुपी समुद्र में डूबते हम और आप जैसे जीवों को पार उतारने के लिए परमात्मा जिनशासन रुपी नाव का सहारा देते है जिसकी सहायता से अनेक जीव मोक्ष में पहुँचकर सचे सुख को प्राप्त करते है। इस तरह भगवान का मार्गोपदेशकता यह विशिष्ट गुण है। प्रश्न: किसके प्रभाव से वे अरिहंत बनते है ? उत्तर: पूर्व के तीसरे भव में उनके रोम-रोम में विश्व के सभी जीवों को सभी दुख, सभी पाप और वासनाओं से मुक्त बनाने की तीव्र इच्छा होती है। वीस स्थानक या किसी एक स्थानक की। (26)
SR No.006118
Book TitleJain Tattva Darshan Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhaman Jain Mandal Chennai
PublisherVardhaman Jain Mandal Chennai
Publication Year
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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