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7. तत्पश्चात् गाथा कंठस्थ करने का काम शुरू करते समय कमर को सीधी करके तनकर बैठे, मस्तक का एंटीना सीधा हो तो सूत्र ग्रहण होता है और स्मरण शक्ति बढती है। उसके बाद बाँए हाथ से दाहिने पाँव का अंगूठा पकडें, फिर गाथा का रटन करें, तो जल्दी याद होगी।
8. पाठशाला में प्रतिदिन कम से कम एक गाथा तो अवश्य की जाए और पुराने सूत्रों का पुनरावर्तन करें। 9. गाथ रटने पर भी याद न हो तो उकताएँ नहीं, परंतु परिश्रम जारी रखें, भले ही गाथा कंठस्थ न हो
पाए फिर भी धार्मिक ज्ञान पढने से आठ कर्मों का नाश होता है। जैसे माष्तुष मुनि को ज्ञान नहीं चढता था, फिर भी परिश्रम जारी रखा तो एक ही पद 12 वर्ष तक रटते रटते इतने कर्मों का नाश हुआ कि उन्हें केवलज्ञान की प्राप्ति हो गई
10. ज्ञान की आराधना के लिये प्रतिदिन कम से कम ज्ञान के दोहे बोलकर पाँच खमासमण दें, और ज्ञान का पाँच या इकावन लोगस्स का कायोत्सर्ग (काउस्सग्ग) करें तथा निम्नलिखित मंत्र का अपनी शक्ति के अनुसार जाप करें, जिससे हमें ज्ञान शीघ्र चढ पाए ।
11. A.
B.
C.
D.
E.
F.
G.
ॐ ह्रीँ नमो नाणस्स
ॐ ह्रीँ नमो उवज्झायाणं (108 बार जाप करें।
श्री वज्रस्वामिने नम: (108 बार जाप) जिससे विद्या ज्ञान की वृद्धि और बुद्धि निर्मल बनती है। महोपाध्याय श्री यशोविजय सद्गुरुभ्यो नमः ( 12 बार जाप करें) जिससे ज्ञान की प्राप्ति होती
है।
ॐ ह्रीँ श्री ऐं नमः
श्री सरस्वती देव्यै नमः
ॐ ह्रीँ श्री वद वद वाग्वादिनी वासं कुरु कुरु स्वाहा (12 अथवा 108 बार जाप करें।)
12. इस जाप के सिवाय स्मरण शक्ति बढाने के लिए उपाय
ती हुई वस्तुओं का अधिक उपयोग न करें।
- शराब से दूर ही रहें ।
A.
B.
तम्बाकू - बीडी
C.
रात्रि में देर तक जागना नहीं ।
D.
अत्यधिक न खाएँ ।
E. विद्यार्थी जीवन में शील व्रत (ब्रह्मचर्य) का पालन करें।
F.
जो पूर्व में पढा हुआ हो उसका चिंतन मनन करें।
G.
17 से 24 वर्ष की आयु के दौरान विद्यार्थी यदि संयम से जीवन यापन करें तो मानसिक बल - बुद्धि से बहुत ही प्रखर हो सकते है।
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