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________________ जैन तत्त्व दर्शन बडे लडके का नाम मोक्षेश तथा छोटे लङके का नाम अभिषेकथा | इन दोनों ने अपना जन्मदिन धार्मिक रीति से मनाने का विचार किया और बर्थ डे के दिन उन्होंने जिनालय में परमात्म भक्ति , बोली लगाकर पूजा करके पाठशाला गमन किया । तीन वर्ष पूर्ण हुए अत: बडी साईज के तीन नैवेद्य-तीन फल स्वस्तिक पर रखें, इस प्रकार अष्ट प्रकार की प्रभु पूजा की, चैत्यवंदन-प्रभु की आंगी रची और गुरुभक्ति, ज्ञान भक्ति, सहधर्मी की भक्ति, सुपात्रदान, अनुकंपादान और जीवदया की। बच्चों! आपको भी इन दो छोटे बच्चों की तरह जन्मोत्सव मनाना चाहिये और केक आईस्क्रीम आदि का बहिष्कार करना चाहिए । मानो कि आपकी दस वर्ष की आयु हो तो आप बर्थ डे के दिन 10 भगवान की पूजा करें, 10 पुष्पों से प्रभु की आँगी करें, 10 रुपये भंडार में भरें, 10 गुरु भगवंतों को वंदन करें, 10 गरीबों को दान देना आदि करें और उस दिन प्रतिक्रमण-सामायिक एव मंगल रुप आयंबिल आदिन हो सके तो कम से कम बियासणा करें। E.टी.वी. यानि? दूरदर्शन आया, दुःख दर्शन लाया ओये-ओये, टी.वी. देखने वाले रोये-रोये पापा भी रोए, मम्मी भी रोए, मुन्ना भी रोए, मुन्नी भी रोए। आधुनिक युग की बुराई, दुराचार की जननी, पवित्र मन को गटर जैसा गंदा बनाने वाला, सदाचार का निकंदन निकालने वाला, समाज में चोरी, लूट, अत्याचार, बलात्कार, हिंसाचार का प्रेरक, पति-पत्नि के जीवन में अविश्वास, क्लेश उत्पन्न करने वाला, बालमानस को विकृत करने वाला, इंद्रियों को विकारी बनाने वाला यह टी.वी है। टी.वी देखने से धन-मन-आँख और समय का दुरुपयोग होता है।
SR No.006117
Book TitleJain Tattva Darshan Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhaman Jain Mandal Chennai
PublisherVardhaman Jain Mandal Chennai
Publication Year
Total Pages76
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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