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जैन तत्त्व दर्शन
7. शाम को प्रतिक्रमण करना। 8. फिर धार्मिक पुस्तकें पढना | पाठशाला में हर रोज जाना | कभी भी झूठ नहीं बोलना, चोरी नहीं करनी, निंदा नहीं करनी, बीड़ी-सिगरेट नहीं पीना, जुआ नहीं खेलना, झगड़ा नहीं करना, जीवदया रखना, परोपकार करते रहना | पाप प्रवृत्तियों का त्याग और धर्मसाधना की वृद्धि से जीवन सफल होता है।
Early to sleep, early to rise, makes the body Healthy, Wealthy & Wise
आहार, शरीर उपधि, पचखुं पाप अढार मरण पामु तो वोसिरे, जीq तो आगार |
रात्रे वहेला जे सुओ, वहेला उठे वीर बल बुद्धि विद्या वधे, निरोगी रहे शरीर।