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जैन तत्त्व दर्शन
6. नाद - घोष 1. गुरूजी हमारो अन्तर्नाद - अमने आपो आशीर्वाद 2. गुरुजी हमारे आये है - नयी रोशनी लाये है 3. गुरूजी हमारो पकडो हाथ - भवसागर में देजो साथ 4. गुरूजी हमें आशीष दो मुक्ति की बक्षीस दो 5. गुरूजी अमारो अंतर्नाद संयम ना दो आशीर्वाद 6. सत्य अहिंसा प्यारा है। यही हमारा नारा है 7. झंडा ऊंचा रहे हमारा
जैन धर्म का बजे नगारा 8. अमर रहे अमर रहे
आर्य संस्कृति अमर रहे 9. जैन धर्म छे तारणहार
शरणुं एनु सौ सौ बार 10. बोलो हृदयनां जोडीतार - जैन धर्म की जय जयकार
7. मेरे गुरु
1. पंच महाव्रत धारी अज्ञानरूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाने वाले गुरु होते हैं। प्रश्न-1 : हमारे गुरु कौन है ? उत्तर : जो पाँच महाव्रतों का पालन करते हैं। महाव्रत यानि बडे व्रत।
1. जीव हिंसा नहीं करना । 2. झूठ नहीं बोलना । 3. चोरी नहीं करना। 4. ब्रह्मचर्य का पालन करना। 5. पैसे वगैरह नहीं रखना।
1. जीव हिंसा नहीं करना :मात्र गाय, मच्छर, चिंटी, लट, शंख वगैरह चलते-फिरते जीव ही नहीं बल्की पृथ्वीकाय-नमक, मिट्टी..., अप्काय-कच्चा पानी, बरफ..., तेउकाय-अग्नि, गैस, पंखा, इलेक्ट्रीसीटी..., वाऊकाय-हाथ से भी हवा नहीं खाना, फूक नहीं देना, वनस्पतिकाय-फल, फूल, सब्जी, हरियाली वगैरह को छूते भी नहीं है। चाहे कितनी भी प्यास लगे तो कच्चा पानी नहीं