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E. माता - पिता का विनय
वि.सं. 2023 में मलाड-मुम्बई में हुए धार्मिक शिक्षण-शिविर में गुरु भगवन्त के श्रीमुख से माता-पिता के उपकार विषयक प्रवचन सुनकर एक सत्रह वर्ष के युवक ने प्रतिदिन प्रात:काल अपने परम उपकारी माता-पिता को प्रणाम करने का नियम लिया। वह युवक अपने घर आया। प्रात:काल में ज्योहि अपने पिता के पैर पर गिरकर वह नमस्कार करने लगा तुरन्त उसके पिता ने उसे रोकते हुए कहा, "बेटा, दो मिनट अभी ठहर जा।'' इतना कहकर उस युवक के पिता, साथ वाले कमरे में बैठे अपने बूढ़े माँ-बाप को नमस्कार कर, फिर आकर बोले, "बेटा, अब तू मुझे नमस्कार कर सकता है।"
जिस बाप ने कभी भी अपने माँ-बाप की सेवा न की और न ही कभी उन्हें नमस्कार किया परन्तु आज उसीके बेटे ने अपने बाप का हृदय परिवर्तन कर दिया। बेटा हो तो ऐसा। माँ-बाप की सेवा करना, एहसान नहीं, फर्ज है अपना ।
जो झुकता है, समझ लो उसमें जान है। अक्कडपन तो खास मुर्दे की पहचान है।
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