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B. गजसुकुमाल MUNI GAJASUKUMAL
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RELAWASTES
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यह कहानी उस समय की है जब श्री कृष्ण द्वारीका नगरी पर राज कर रहे थे।
इस द्वारीका नगरी के श्रीकृष्ण के छोटे भाई गजसुकुमाल ने प्रभु श्री नेमिनाथ की देशना सुनी। प्रभु की देशना सुनते ही गजसुकुमाल बहुत ही प्रभावित हुये और उन्होने सांसारिक जीवन त्याग कर दीक्षा लेने का निर्णय कर लिया।
This story took place during the time of Sri Krishna. He was ruling over Dwaraka. At that time. Sri Krishna's younger brother. Gajasukumal happened to hear the dis course delivered by the Lord Neminath. The discourse brought about a very deep impact on Gajasukumal; and he decided to renounce worldly life and to receive initiation into the Sadhu Dharma.
मां देवकी ने मोहवश दीक्षा के लिए बहुत मना किया और समझाया की साधु जीवन बीताना कोई आसान काम नहीं है। काफी समझाने पर भी जब गजसुकुमाल नही माने तो उसका दृढ निर्णय देखकर मां ने कहा: हे वत्स ! तुझे दीक्षा लेनी ही है तो अच्छी तरह से लेना और अच्छी तरह से पालना। सिंह की तरह लेना और सिंह की तरह पालना। ऐसी साधना करना कि अब किसी को मा बनाना न पड़े।
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