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________________ નવમાગણના ધાતુસાધિત શબ્દ ધાતુ आश अश् अशन अश क्लिश्क्लेशन क्लेश क्लेश X क्री क्रयण क्रय ग्रन्थ् ग्रन्थन ग्रन्थ ग्रन्थ ग्रह् ग्रहण 100 poষ০ अन अ अ अ अक (अनट्) (अच्) (घञ्) (अल्) (णक) Ew low FE low bow row pow 15w Fw ग्रह पोषण पोष ल् लवन धू धवन वृ वृ वरण वर पू पवन पुष् प्री प्रयण प्रय बन्ध् बन्धन बन्ध मन्थ् मन्थन मन्थ मी मयने मय X मय मुष् मोषण मोष मोष X मृद् मर्दन मर्द मर्द श्री श्रयण श्रय श्राय क्षुभ् क्षोभन क्षोभ क्षोभ ज्ञा ज्ञान ज्ञा ली નવમા ગણના ધાતુસાધિત શબ્દ लयन करण शरण 可可阿丽阿 ज्या ज्यान ज्या दरण जरण पव लय कर शर दर परण पर जर गर गरण लव धव स्तर स्तरण वरण वर वार पोष X. ग्रह X X प्रय X X बन्ध मन्थ X X X X X X X आशक क्लेशक X क्रय X Xx Xx X स्तर X X X शार ज्याय X प्रायक बन्धक मन्थक मायक मोषक मर्दक तृ (तृच्) अशितृ अष्टि अशिशिषु क्लेशित / क्लिष्टि चिक्लेशिषु चिक्लिक्षु क्लेट क्रायक क्रेतृ क्रीति चिक्रीषु ग्रन्थक ग्रन्थितृ ग्राहक ग्रहीतृ ग्रन्था जिग्रन्थिषु गृहीति जिघृक्षु पुष्टि पुपोषिषु पोषक प्रीति पिप्रीषु लय कर कारक X शारक X दर दारक X पर पारक X जर जारक X गर गारक पोषितृ प्रेतृ श्रायक श्रेतृ क्षोभक क्षोभितृ ज्ञ (क) ज्ञायक ज्ञातृ वर वारक वरितृ पव पावक पवितृ लव लावक लवितृ धव धावक धवितृ/ धोतृ स्तारक स्तरितृ X वारक वरितृ बन्द्ध मन्थितृ मातृ मोषित मर्दितृ ति (क्ति) अर्थ ૧૩૩ मन्था मीति बद्धि बिभत्सु मिमन्थिषु | उ २छ मुष्टि मुष्टि मित्सु मुमुषिषु | मिमर्दिषु शिश्रीषु क्षुब्धि चुक्षोभिषु ज्ञाति जिज्ञासु मृत् श्रीति वृति विवरिषु पूर्ति पुपूषु लूनि / लू लुलूषु धूति | दुधूषु स्तीर्णि तिस्तरिषु वूर्णि विवरिषु ज्यायक ज्यातृ ज्यानि जिज्यासु लायक लेतृ/लातृ लीनि लिलीषु करितृ शरितृ कीर्णि चिकरिषु शीर्णि शिशरिषु दरितृ दीर्णि दिदरिषु परित जरितृ | गरितृ पूर्ति पिपरिषु जीणि जिजरिषु गिर् जिगरिषु
SR No.006059
Book TitleHaim Sanskrit Dhatu Rupavali Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDineshchandra Kantilal Mehta
PublisherRamsurishwarji Jain Sanskrit Pathshala
Publication Year2006
Total Pages392
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size22 MB
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