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________________ ધાતુસાધિત શબ્દ ૨૪૩ ધાતુસાધિત શબ્દ ધાતુ FFEE E _भाव सार सर सर्तृ सृति स्मर्तृ स्मृति गति गम दर्श द्रष्ट दातृ दा अ (अल्/ अन | अ | अक | तृ । ति अच्) (अनट् )| (घत्र) (णक)| (तृच्) | (क्ति) धाव धावन धाव धावक धौति भव भवन भावक भवित भूति सरण सारक स्मर स्मरण स्मार स्मारक गमन गम गमक गन्तु दर्शन दर्श दर्शक दृष्टि स्था . स्थान स्थाय स्थायक स्थातृ स्थिति दान दाय दायक दत्ति पान पाय पायक पातृ पीति वन्दन वन्द वन्दक वन्दित वन्दिति वर्धन वर्धक वर्धित पचन पाचक पक्तृ । पक्ति हरण हार हारक हृति डयन डायक डयितृ डयिति भाषण भाष भाषक भाषित भाषिति रमण रमक रति लभन लाभ लाभक । लब्धृ | लब्धि वर्तन वृत्ति शोभन शोभ शोभक | शोभित | शोभिति सेव सेव सेवक | सेवितृ | सेविति स्वाद स्वादन स्वादक | स्वादित | स्वादिति नय नयन नाय नायक | नेतृ । नीति याच याचन याच याचक | याचितृ | याचिति राजन राज राजक राजित | राजिति वर्ध | वृद्धि पाच हर्तृ FFEEPhoto EEEEE 明阳风可四兩时 वर्तक वर्तित शोभ सेवन स्वाद राज्
SR No.006057
Book TitleHaim Sanskrit Dhatu Rupavali Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDineshchandra Kantilal Mehta
PublisherRamsurishwarji Jain Sanskrit Pathshala
Publication Year2006
Total Pages308
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size16 MB
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