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________________ ૨૪૨ હૈમ સંસ્કૃત ધાતુ રૂપાવલી : ભાગ-૧ ધાતુસાધિત શબ્દ पातु नम पतित रक्षण रक्षित वसित 刑吸阴阳明明啊丽返呢珊丽亚丽 阿B昭四丽丽丽丽丽呢腓丽 खाद अ (अल् अन | अ | अक| तृ । ति अच्) (अनट्) (घब) (णक) (तृच्) (क्ति) नमन नमक नन्त | नति पठन पाठ पाठक | पठित | पठिति पतन पातक पतिति रक्षक रक्षिति वदन वादक वदित उदिति वसन वास वासक उषिति भणन भाण भाणक भणितृ | भणिति खादन खादक खादित | खादिति दहन दाहक दग्धृ | दग्धि अटन आटक अटितृ | अटिति अर्चन अर्चक अर्चित अर्चिति चलन चालक चलितृ | चलिति चरण चार चारक चरितृ | चरिति जीवन जीवक | जीवितृ | जीविति । त्यज त्यजन त्याज त्याजक त्यक्तृ | त्यक्ति क्षर. क्षरण क्षार क्षारक क्षरित | क्षरिति क्रीड क्रीडन क्रीड क्रीडक | क्रीडित | क्रीडिति जपन जाप जपक जपितृ । जपिति जेम जेमन जेम | जेमितृ | जिमिति निन्दन निन्दितृ निन्दिति वर्षक | वर्षित | वृष्टि शोचन शोच शोचक शोचितृ शोचिति जयन जायक 'जेतृ । जिति तरण तारक तरित | तीर्ण दाह चाल जीव जीव त्यज् क्रीड् जप निन्द वर्षण वर्ष जाय तार
SR No.006057
Book TitleHaim Sanskrit Dhatu Rupavali Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDineshchandra Kantilal Mehta
PublisherRamsurishwarji Jain Sanskrit Pathshala
Publication Year2006
Total Pages308
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size16 MB
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