________________
i श्री आदिनाथ जैन श्वे. संघ के अन्तर्गत चल रही भारत भर में प्रथम स्थान | ! प्राप्त श्री विजय लब्धि सूरि जैन धार्मिक पाठशाला के विशिष्ट आयोजन !
• हर सुदी १ को प्रातः ७-०० से ८-३० बजे तक स्तोत्र पाठ द्वारा मांगलिक ।
हर रविवार को प्रातः ७-०० से ९-०० बजे तक मधुरवाजित्रों व सुमधुर राग - रागिणी पूर्वक स्नात्र महोत्सव द्वारा प्रभु भक्ति । हर महिने की सुदी ५, ८, १४ वदी ८, १४ को सायं प्रतिक्रमण अनुष्ठान । हर चतुर्दशी को प्रातः ७-०० से ८-०० बजे तक राई प्रतिक्रमण । हर चतुर्दशी को प्रातः ९-०० से १०-३० तक स्व - द्रव्य से अष्टप्रकारी पूजा एवं अंगरचना (प्रेक्टिकल रुप में) ज्ञान पंचमी, चौमासी, चतुर्दशी, मौन एकादशी एवं पर्युषणादि विशेष पर्व दिनों में विशेष आराधना प्रातः ५-३० बजे राईअ प्रतिक्रमण, प्रातः ७-०० से ९-०० बजे तक विशिट ठाठपूर्वक स्नात्र, ९-०० बजे व्याख्यान श्रवण, दोपहरमें देव-वन्दनादि, शाम को प्रतिक्रमण एवं भक्ति भावना । पर्वाधिराज श्री पर्युषण महापर्व व भगवान महावीर जन्म कल्याण रथयात्रा एवं पू. गुरुभगवंतो के प्रवेश आदि प्रसंगो में स्वागत जुलूस आदि में झंडी लेकर कतार बद्ध चलते हुए पाठशाला के अभ्यासक गण द्वारा रथयात्रा व शासन शोभा में अभिवृद्धि । दीपावली के दिनों अभ्यासकों द्वारा पटाखे के लिये रकम बर्बाद न करते हुए उस रकम द्वारा अनाथाश्रम, अस्पतालों आदि स्थानों में नोट बुक, फल, मिठाई, नमकीन आदि वितरण । विद्यार्थियों में वक्तृत्व, लेखन शक्ति व चित्रकला आदि का विकास हो, उसके लिए स्पर्धाओं के आयोजन व प्रोत्साहन हेतु विशिष्ट पुरस्कारों का वितरण ।। अभ्यास एवं अनुष्ठान की नोंध रखने के लिये दैनिक पत्रक का आयोजन, अभ्यास एवं अनुष्ठान के प्रति अभ्यासकों को प्रोत्साहन देने हेतु मासिक पुरस्कार की वितरण योजना । पर्युषण पर्व के आसपास पाठशाला के अभ्यासकों की चातुर्मासार्थ बिराजमान पू मुनिभगवंतो अथवा सुयोग्य पंडितों द्वारा वार्षिक परीक्षा एवं अभ्यासकों के प्रोत्साहन हेतु व श्रुतभक्ति निमित्त वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह । पढाई का स्तर बढाने के लिये बंबई, पूना, आदि शिक्षण संस्थाओं की परीक्षाओं का अयोजन । प्रसंग प्रसंग पर पू. आचार्य भगवंत आदि साधु - साध्वीगण, पंडितवर्यो एवं शिक्षण प्रेमी महानुभावों के पधारने
पर विशिष्ट मुलाकातों का आयोजन । • हर सोमवार को सूत्र, अर्थ, काव्य आदि का पुनरावर्तन कक्षा में कराया जाता है ।
.
.
( उपरोक्त विशेषताओं के फलस्वरुप)
वर्तमान में संपूर्ण भारत में अद्वितीय उदाहरण रूप १३०० (तेरह सौ) से भी अधिक बालक, बालिकाएँ एवं महिलाएं सुन्दर ढंग से धार्मिक शिक्षण प्राप्त कर अपने जीवन को सुसंस्कारी बना रहे हैं ।
याद रखिए... बच्चा आपका.. हमारा... और संघका बहुमूल्य रत्न है अतः उसको आगे पढ़ने प्रेरणा एवं प्रोत्साहन दीजिए एवं नियमित पाठशाला भेजीए....