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________________ * निश्चय-काल का स्वरूप लोयायासपदेसे इकिके जे ठिया हु इकिका । रयणाणं रासी इव ते कालाणू असंखदव्याणि ॥ २२ ॥ लोकाकाशप्रदेशे एकैकस्मिन् ये स्थिताः हि एलेकाः । रलानां राशिः इव ते कालाणवः असंख्यद्रव्याणि ।। २२ ।। इक-इक इस आकाश-देश में इक-इक कर ही काल रहा. रतनों की वह राशि यथा हो फलतः अणु, अणु-काल कहा। परिगणनायें ये सब मिलकर अनन्त ना, पर अनगिन हैं, स्वभाव से तो निष्क्रिय इन को कौन देखते, बिन जिन हैं ? ॥२२॥ इक्विके] मे मे [लोयायासपदेसे] ALLIAFi प्रश ५२ [जे] है [रवणाणं] २ला- [रासी इव] राशि अर्थात मान समान [इक्किका (मे- कालाणू] पदव्या भाभी [ठिया स्थित छ [] त Sugो हु] निश्ययी [असंखदव्वाणि] मन्यात यछ. जो लोकाकाश के एक-एक प्रदेश पर रनों के ढेर समान परस्पर भिन्न होकर एक एक स्थित हैं, वे कालाणु असंख्यात द्रव्य हैं ।। २२ ॥ Those innumerable substances which exist one by one on each pradesa of Lokakasa, like heaps of jewels, are kalanu'. * पाँच अस्तिकाय ' एवं छड्भेयमिदं जीवाजीवप्पभेवदो दव्वं । उत्तं कालविजुत्तं णादवा पंच अत्यिकाया दु ॥ २३ ॥ एवं षड्भेदं इदं जीवाजीवप्रभेदतः द्रव्यम् । उक्तं कालवियुक्तं ज्ञातव्याः पञ्च अस्तिकायाः तु ।। २३ ।। जीव-भेद से अजीव-पन से द्रव्य मूल में द्विविध रहा, धर्मादिक वशषइविध हो फिर उपभेदों से विविध रहा।' किन्तु काल तो अस्तिकायपन से वर्जित ही. माना है, शेष द्रव्य हैं अस्तिकाय यूँ "ज्ञानोदय" का गाना है ॥ २३ ॥ [एवं] भा प्रभाव [जीवाजीवप्पभेददो] ® भने भवन Malal [इदं] भादव्यं] दव्य [छब्मेयं] ७.[उत्तं] वाम भाव्या छ. [] भने तमा [कालविजुत्तं] द्रव्य सिवाय [पंच अस्थिकाया] पांथ मस्तिय [णादव्वा] वा इस तरह जीव और अजीव द्रव्य के प्रभेदरूप छह प्रकार के द्रव्यों का निरुपण किया । इन छह द्रव्यों में से कालद्रव्य के बिना शेष पांच द्रव्य अस्तिकाय जानने चाहियें ॥ २३ ॥ In this manner this Dravya (substance) is said to be of six kinds, is subdivided in two kinds Jiva & Ajiva. The five, without kala, should be understood to be Astikayas." 1. Points of time. 1. One which has many Pradesas. विषयों को विष लख तनँ, बनकर विषयातीत । . विषय बना ऋषि-ईश को, गाऊँ उनका गीत ॥ गुण धारे पर मद नहीं, मूदुतम हो नवनीत । . अभिनन्दन जिन ! नित न, मुनि बन मैं भवभीत ॥ १२
SR No.005954
Book TitleDravya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Acharya, Vidyasagar Maharaj, Kishor Khandhar
PublisherSamtaben Khandhar Charitable Trust
Publication Year
Total Pages30
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size4 MB
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