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दान ऊपर-रत्नचूडकुमारनी कथा
संपत्ति प्राप्त थाय छे तेमज दानथी शत्रु मित्र थई जाय छे अने जे विषम-संकट होय ते सम-शांत थई जाय छे. दान आपवाथी रत्नचूडकुमारनी जेम कीर्ति, महत्ता अने आनंद अवश्य प्राप्त थाय छे ते साथे आ समग्र जगत पण वश थई जाय छे. ।।५६४।।
रत्नचूडकुमारनी कथा
आ भरत क्षेत्रमां मध्यखंडने विषे आभूषणरूप तामलिनी नामे एक उत्तम नगरी समुद्रना तीर उपर आवेली हती. तेनी अंदर सत्पुरुषोना मनोरथना जेवी उंची जातना, विबुधोना आधाररूप अने बहु प्रकारे सुधाथी उज्ज्वळ आवा प्रसादो आवेला हता. 2कमलामोदथी उत्तम अने सुवृत्तवडे युक्त एवी हवेलीओ अने जलथी भरेला सरोवरो त्यां रहेला हता. कल्पलतानी जेम सुमन - जनना सर्व अर्थने साधनारी अने साधुपुरुषोए स्तवेली बजारो ते नगरीमां शोभती हती. 4 यंत्रमां शोभता देवनी जेम चोतरफ कोठावाळो अने अक्षरोनी प्रकृतिवडे प्रकाशमान एवो किल्लो तेनी आसपास रक्षक तरीके रहेलो हतो. ते नगरीमां अजितसेन नामे 'सार्थकनामवाळो राजा हतो. ते 'विष्णुनी जेम आ पृथ्वीमां लक्ष्मीवाळो अने प्रजानी रक्षा करनारो हतो. ते राजा रणमां 7 शूर, नमेला माणसोमां सोम, वांकानी आगळ वक्र, बुध- विद्वान् आगळ बुध, वाणीमां बृहस्पति, काव्यमां कवि अने नहीं करवा योग्य कार्योमां मंद हतो. ते छतां पण केटलाएक तेने 'ईन - स्वामी
1. सत्पुरुषोना मनोरथ उंची जातना, विबुध - विद्वानोना आधाररूप अने बहुप्रकारे सुधाअमृतना जेवा उज्जवल होय छे नगरीना प्रासादो ऊँचा, विबुध-देवताओना आधारआश्रयरूप अने बहु प्रकारे सुधा- चुनो लगाडवाथी उज्जवळ हता. 2. हवेलीओ कमलालक्ष्मी अने मोद - हर्षथी उत्तम अने सुवृत्त - गोळाकार अथवा सदाचारथी युक्त हती. सरोवर पक्षे-सरोवर कमलामोद- कमळोनी खुशबोथी युक्त अने सुवृत्त - गोळाकार हता. 3. कल्पलतासुमनोजन - देवजनोना सर्व अर्थने साधनारी होय छे बजार सुमन - विद्वानोना अथवा सज्जनोना सर्व अर्थने साधनारी अर्थात् दरेक पदार्थोने मेळवी आपनारी हती. 4. देवताने माटे स्थापन करवामां आवे छे. ते स्थापना यंत्राकारे गोठवाय छे. तेनी आसपास कोठाखाना करवामां आवे छे, तेथी ते चोतरफ कोठावाळो होय छे अने ते कोठामां अक्षरो रचवामां आवे छे. तेथी ते अक्षरोनी प्रकृति ऊँची जातनी कृति रचनाथी प्रकाशमान होय छे. किल्लापक्षे किल्लाने आसपास कोठा होय छे अने ते अक्षर प्रकृति - एटले खरे नहीं तेवी प्रकृतिथी प्रकाशमान अर्थात् पडे नहीं तेवो मजबूत किल्लो हतो. 5. अजितसेनजेनी सेना जीती शकाय नहीं तेवो हतो तेथी सार्थक नामवाळो 6. विष्णु लक्ष्मीवाळा अने सर्व प्रजाना रक्षक कहेवाय छे. 7. शूरवीरपक्षे सूर्य, सोम-शांतपक्षे चंद्र. वक्र- वांको पक्षे मंगळ. बुध - डाह्य पक्षे बुधग्रह. कवि - कविता करनारपक्षे शुक्र, मंद- शिथिलपक्षे शनि. 8. ईननो अर्थ सूर्य पण थाय छे.
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श्री विमलनाथ चरित्र - प्रथम सर्ग