SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 374
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सम्यक्त्व उपर कुलध्वजनी कथा अने बसो (३,२००) सुप्रसादी एवा वादीओ, बे लाख अने आठ हजार श्रावको अने चार लाख अने चोत्रीस हजार (४,३४,०००) श्राविकाओ. प्रभु पोतानो निर्वाण समय जाणी संमेतगिरि उपर गया अने त्यां छ हजार मुनिओनी साथे तेओए अनशन व्रत अंगीकार कयुं. ते पवित्र कांतिवाला प्रभु एक मास सुधी अनशन पाल्युं. आषाढ मासनी कृष्ण सप्तमीने दिवसे चंद्र रेवती नक्षत्रमां आवतां कायोत्सर्गे रहेला अने शुद्ध शुक्ल ध्यानथी विराजता श्री विमलनाथ प्रभु छ हजार मुनिओनी साथे निर्वाणने पाम्या. ते समये राजाओ अने इंद्रो खेद करता त्यां आव्या. तेमणे प्रथम खेदनो भार दर्शावी, पछी स्वोचित कृत्य करवा मांड्युं. इंद्रनी आज्ञाथी आभियोगिक देवताओए गोशीर्ष चंदन लावी पूर्व दिशामां प्रभुनी गोळाकार चिता रची, ईक्ष्वाकु साधुओनी उत्तर दिशामां त्रिकोण चिता रची अने बीजाओनी पश्चिम दिशामां चोरस चिता रची हती. इंद्रे पोते प्रभुने क्षीरसमुद्रना जलथी स्नान कराव्युं अने घाटा उंची जातना चंदनथी लेप कर्यो. अने बीजाओने ते प्रमाणे देवताओए कयुं. ते पछी इंद्रे देवदुष्य वस्त्रथी प्रभुना अंगने आच्छादित कर्तुं अने कल्पवृक्षना सुगंधी पुष्पोथी विभूषित कर्यु. ते वखते देवताओए त्रण शिबिकाओ विकुर्वी, तेमांनी मूळ शिबिकामां इंद्रे नमस्कार करी प्रभुने पधराव्या अने बीजी बे शिबिका ओमां देवताओए बीजा मुनिओना शरीरोने योग्यता प्रमाणे आरोपित कर्यां. "सुमनसो नौचित्योल्लंघनस्पृशः " देवताओ उचित कार्यनुं उल्लंघन करता नथी. पछी एक हजार माणसो वहन करी शके तेवी प्रभुनी शिबिका इंद्रे पोते उपाडी अने बीजाओनी शिबिकाओ भक्तिना भारवाळा देवताओए उपाडी. ते शिबिकानी आगळ देवताओनी स्त्रीओ रसथी राडा लेती हती. देवताओनो गंधर्व वर्ग नृत्य, गीत अने वाद्यो वगाडतो हतो केटलाएक देवताओ आगळ धूप करता हता, केटलाएक प्रकाशमान थई छडीओ धरी चालता हता, केटलाएक पुष्पोनी वृष्टि करता अने केटलाएक सर्व दोषोने हरनारी शेषा ( प्रसादी) ने लेतां हता, तेवी रीते थतां पूर्वदिशाना पति इंद्रे पूर्वनी चितामां प्रभुने पधराव्या अने बीजा साधुओना शरीरो बीजी बे चितामां देवताओए स्थापित कर्यां. ते ज समये चितानी अंदर अग्निकुमार देवताओए अग्नि वायुकुमार देवताओए पवन अने देवेंद्रो कर्पूरनो समूह प्रगटाव्यो. अग्निथी अस्थि सिवाय बधा धातुओ बळी गया पछी मेघकुमार देवताओए क्षीरजलवडे ते चिताने बुझावी दीधी. ते वखते सौधर्म इंद्रे आवी पूजवाने माटे प्रभुनी जमणी दाढ ग्रहण करी अने ईशानेंद्रे डाबी दाढ ग्रहण करी. चमेरेंद्रे नीचेनी जमणी दाढ अने 344 श्री विमलनाथ चरित्र - पंचम सर्ग
SR No.005931
Book TitleVimalnath Prabhunu Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherGuru Ramchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages378
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy