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________________ सातमा व्रत उपर स्वर्णशेखरनी अने महेंद्रनी कथा छु. अने ते चिंताना कारणे दुर्बलता मारामां आवी छे. पछी राजाए स्वर्ण शेखरने बोलावीने पूछ्युं. हे विद्वद्! आ मुद्रिका तारा हाथमां क्यांथी आवी? त्यारे तेणे ते पूर्वनो सर्व वृत्तांत निर्विवाद रीते राजानी आगल कह्यो. त्यारे राजा ते जमाई उपर खुश थयो. पछी मंत्री अने मंत्री पुत्रने शीघ्र बोलाव्या. मक्षिकाना पुंजथी युक्त मलेली नाशिकावालो, कुष्टरोगथी ग्रसित, उत्तम जनो द्वारा निंदनीय ते पुत्रने जोईने राजा गूढ कोपथी बोल्यो. हे मंत्री! तारा पुत्रनी आवी अवस्था केम देखाय छे? त्यारे ते मंत्री बोल्यो. विवाहना समयथी आनी आवी अवस्था थई छे. कारण के विवाहना समयमां आपे अने सर्व लोकोए आने जोयेलो छे. हमणां जे परावर्त थयुं छे ते आपनी पुत्रीना संपर्कथी थयेल छे. त्यारे राजाए राजानी पुत्रीने बोलावी त्यारे तेणे स्व कुलदेवताने उद्देशीने कर्वा के जो आ मंत्रिना वचन सत्य होय तो मने पण आना जेवी कर अने जो आ मृषावादी होय तो सर्व लोकोना देखतां पापकारी एवा आ मंत्री पुत्रना मस्तकना सो टुकडा थाय. अने तेज समये तेना मस्तकना सो टुकडा थई गया. कारण के "सतीनां वचनं सद्यः सत्यं संजायते भुवि ।" पृथ्वी पर सतिओना वचन शीघ्र सत्य थाय छे. ते मंत्री पुत्र मरीने दुर्गतिमां गयो. सपरिवार मंत्रीने राजाए पोताना देशमाथी निर्वासित कर्यो कारण के राजाओ "तत्काल फलदा नृपाः" राजाओ तरत फल आपनारा होय छे. ते पछी मृणालिनी पोताना पतिने मेळवीने हर्षीत थई. ते पण बन्ने पत्निओनी साथे भौतिक सुखने भोगवे छे. ते पछी ते शंखराजाने जीतवा माटे राजाना आदेशथी मंत्रिओनी साथे सैन्यथी परवरेलो चाल्यो. ते स्वर्णशेखर राजाने आवतो सांभळीने शंखराजा पोताना चंदनपुरने छोडीने पलायन करी गयो. ते पछी नगरमां जनता द्वारा कृत महोत्सव पूर्वक स्वर्ण शेखरे प्रवेश कर्यो. "पुण्यात सर्वत्र मान्यता" पण्यथी सर्व स्थानके मान्यता थाय छे. राजा स्वर्णशेखर आव्या पछी शंख राजाए जे 'कंकणता छोडी दिधी ते घटीत छे. जेवो संग तेवो रंग थाय ते युक्ति पण एम ज देखाय छे. वनवासमां पण शंखने गुणसंग्रह न थाओ तेमां पण तेने जीवन न हतुं. ए मोटुं आश्चर्य कारक बन्यु. यश श्रेष्ठि रत्नथी भरेला स्र्वण थाल प्राभृतना भेटणाना रूपमा मुकीने 1. कंकण शंखना बने छे अने शंखे कंकणता-कंकणपणुं छोडयुं ते आश्चर्य. 2. शंखने वनवासमां-जलवासमां ज गुणसंग्रह थवो जोइए. श्री विमलनाथ चरित्र - पंचम सर्ग 314
SR No.005931
Book TitleVimalnath Prabhunu Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherGuru Ramchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages378
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
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