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________________ प्रथम व्रत उपर नृपशेखरनी कथा जीवोने हणीश नहीं." एवो नियम विचारवान राजाए मनथी ग्रहण कर्यो. आ वखते पेलो देवता थयेलो मंगळनो जीव पूर्वजन्मे करेली पोतानी विटंबनाने संभारतो ते राजानी पासे आव्यो. तेणे वज्रना जेवा मुखवाळा मंकोडा वगेरे क्षुद्र जीवो उत्पन्न कर्या, तेओ रात्रे चारे बाजु राजाना देहने करडी खावा लाग्या. सर्व प्राणी उपर दयाळु अने नियमधारी ते राजाए मरी जवाना भयथी ते जीवोने पोताना शरीर उपरथी जुदा कर्या नहिं. ते जीवोए आखरे राजाना प्राण लीधा. राजा मृत्यु पामी प्राणतकल्पमा अगणित पुण्यना स्थानरूप इंद्रना जेवो देवता थयो. व्रतना समूह उपर आदर करनारो अने सुंदर हृदयवाळो ते देवलोकमांथी च्यवी विदेहक्षेत्रमा मनुष्यनो भव प्राप्त करी पछी मोक्षे जशे. आ प्रमाणे जेम नृपशेखर राजाए पहेलं अहिंसाव्रत आदरथी पान्यु, तेम मोक्षने माटे बीजा पुरुषोए पण ते व्रत पाळवं. ।।७।।। इति प्रथमंव्रतम् जेम अंधपुरुष मार्गे रह्यो होय, तो पण तेनो पगले-पगले पृथ्वीमां पात अथवा घात थाय छे, तेम मार्गानुसारी एवो पण जो पुरुष निराधार मृषावाद करे, तो तेने पगले-पगले पात अथवा घात थाय छे. जे गृहस्थ 'कन्यालीक वगेरे असत्योने बोले नहीं ते गृहस्थ बीजुं व्रत पाळनार कहेवाय छे. ए असत्योनी अंदर थापण ओळववानो दोष बीजानो नाश करवाने माटे गणाय छे. ए दोष करवाथी पुरुषोने बेत्रण व्रतनो भंग थई जाय छे. असत्यवादी पुरुष जो देव वगेरेना घणां सोगन खाय छे, तो सर्प करेडला कोई जुठा भांडनी जेम तेनुं वचन कोई मानतुं नथी. ब्रह्मा पण जो असत्यवादी होय, तो लोको तेनी पण पूजा करता नथी अने एक कागपक्षी जो सत्यवादी होय छे, तो बीजाओ तेने अतिथिनी जेम पूजे छे. मार्गे रहेला मुसाफरो घुवडने राजा कहे छे, तेतर पक्षीने विनायक कहे छे अने चीबरीने दुर्गादेवी कहे छे, ते सत्यवादीपणानुं ज फळ छे. उत्तम स्वजनो पण असत्य बोलनार विमलनी जेवां मनुष्यनो कदी पण पक्षपात करता नथी. जे पुरुष सत्यवादी छे, ते कमळनी जेम राजमान्य, स्वजनोथी पूजित अने महत्त्वनी कीर्तिवाळो थाय छे. 1. कन्याने माटे खोटुं बोलवू ते. 2. ज्यारे कागडो बोले छे, त्यारे कोई प्रिय अतिथि घेर आवे छे, एम लोको माने छे अने तेथी कागडा पूजाय छे. 294 श्री विमलनाथ चरित्र - पंचम सर्ग
SR No.005931
Book TitleVimalnath Prabhunu Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherGuru Ramchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages378
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
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