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___ स्वयंभू वासुदेवनुं चरित्र करनारो रुद्र नामे महान् राजा हतो. तेने सुप्रभा अने पृथिवी नामे बे उत्तम स्त्रीओ हती. पेलो जे नंदिसुमित्र हतो तेनो जीव अनुत्तर विमानमांथी च्यवीने उत्तम प्रभावती सुप्रभा राणीनी कुक्षिमां अवतो. ते समये चतुर सुप्रभा राणीए बलदेवना जन्मने सूचवनारा, दुःखने वारनारा अने अर्थने आपनारा चार महास्वप्नो अवलोक्या. पछी अनुक्रमे ते सुप्रभा राणीए उत्तम लग्र प्रमुखना योगवाळा शुभ दिवसे पवित्र
अने कांतिथी उज्ज्वळ एवा पुत्रने जन्म आप्यो. रुद्र राजाए ते पुत्रनुं नाम भद्र पाड्युं. रुद्र माथी भद्र उत्पन्न थाय ए अहिं आश्चर्य बन्युं हतुं. पेलो जे धनमित्र हतो तेनो जीव जनमित्रना स्नेहने लईने अच्युत देवलोकमांथी च्यवीने रुद्र राजानी बीजी पृथ्वी राणीना गर्भमां आव्यो. सुखे सुतेली पृथ्वी राणीए वासुदेवना जन्मने सूचवनारा अने दुःखमांथी मूकावनारा सात महास्वप्नो जोयां. समय प्राप्त थतां पृथ्वी राणीए श्याम अंगवाळा, शुभ लक्षणोथी युक्त अने उत्तम चातुर्य भरेला ऐश्वर्यथी प्रख्यात एवा एक पुत्रने जन्म आप्यो. रुद्र राजाए हर्ष पामी सज्जनोने राजी कर्या अने विधिवडे ते पुत्रनुं नाम स्वयंभू पाड्यु. लीला अने पीळा वस्त्रोने धारण करनारा ते भद्र अने स्वयंभू बंने पुत्रो हर्षवडे धात्रीओ (धाव्यो)थी पालन थतां अने लोकोथी लालन पामतां उछरी मोटा थवा लाग्यां. श्वेत अने कृष्ण वर्णवाळा ते बंने चिरंजीवी गंगा अने यमुनाना प्रवाहोनी जेम हमेशां साथे रहेता हता.
___एक वखते ताड अने गरुडना चिह्नवाळा ते बंने बंधुओ नगरनी बहार आवेला उद्यानमा साथे गया. त्यां घणां द्रव्योथी भरपूर एक मोटा लश्करनी छावणी तेमना जोवामां आवी. ते जोई भद्र बळभद्रे पोताना भाई स्वयंभू वासुदेवने कर्तुं, "बंधु, जुवो, आ कोई राजानु रत्नयुक्त, सुशोभित अने विभूषित शरीरवाळु मोटुं कटक पडेलु छे." आ सांभळी स्वयंभू वासुदेवे कह्यं "फक्त घासना आहार उपर आश्रय लेनारा लोकोमा आ वननी अंदर आQ कटक कोर्नु हशे? ते कांई समजातुं नथी." स्वयंभूनां आ वचन सांभळी मंत्रीनो पुत्र तेनी बधी खबर मेळवी लाव्यो अने तेणे वासुदेवने आ प्रमाणे कां, "शशिसौम्य राजाए प्रतिवासुदेव मेरकनी उपर हाथी, घोडा वगेरेनुं आ मोटुं सैन्य एक मोटा दंडरूपे मोकल्युं छे." ते सांभळी स्वयंभू वासुदेवे ते मंत्रिपुत्रने क, ""क्षमाधारीओना करमां दंड शोभाने प्राप्त करे छे." ते सांभळी मंत्रिपुत्रे पुनः जणाव्युं, "अहो! राजकीय 1. अहिं एवो अर्थ छे के. जे क्षमाधारी-राजाओ होय छे, तेमना करमां दंड-शिक्षा शोभी उठे
छे. बीजो अर्थ-जे क्षमाधारी-मुनिओ होय छे. तेमना करमां दंड-दांडो शोभे छे. श्री विमलनाथ चरित्र - चतुर्थ सर्ग
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