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________________ वासुदेव चरित्र आ पृथ्वी उपर युद्ध कर्या करे छे, ते उपरथी जणाय छे के मनुष्यपणुं धर्मथी ज सफळ थाय छे. "हे राजा, ते धर्मने विद्वानोए आ विश्वमां अनेक प्रकारनो कहेलो छे, तेमां सर्वविरतिधर्मनी तुलनाने कोईपण धर्म प्राप्त थतो नथी." गुरुनी आ देशना सांभळी विचार करवामां चतुर हृदयवाळो ते राजा बोल्यो, "हे विद्वान् गुरु ज्यां सुधी हुं (आपनी समीपे) व्रत ग्रहण करुं, त्यां सुधी आप कृपा करी स्थिरता करो." श्री गुरु बोल्या, "राजन्, तेमां हवे विलंब करीश नहीं कारण के विद्वान् पुरुषे संसार पर रोष लावीने आ संसारनो उच्छेद सत्वर करवो जोईए." ते पछी राजाए पोताना नगरमां जई पुत्रने राज्य आपी अने सात क्षेत्रोमां द्रव्यरूपी बीज वावी व्रत ग्रहण कयु. पछी ज्ञानदर्शनवाळा ते राजर्षिए केटलाएक वर्षो सुधी संयम पालन कयु. पछी गुरु पासेथी शिक्षा मेळवी पांच प्रकारना आचारनो विचार करता, पंचमहाव्रत धारण करता, पांच समिति पाळता, 'चारित्रना पांच भेद, पांच गति, पांच अस्तिकाय अने पांच ज्ञानना भेदने जाणता ते राजर्षि पंच नमस्कार मंत्रने जपता-जपता पंचत्वने पामी गया अने पांच अनुत्तर देवताओमां महान् देवतारूपे उत्पन्न थया. आ शोभायमान जंबूद्वीपमां भरक्षेत्रना आभूषणरूप अने लोकोनी श्रेणीथी विराजित श्रावस्ती नामे नगरी छे. तेमां न्यायरूपी जलथी पवित्र अने विख्याति पामेलो धनमित्र नामे राजा विशाळ राज्यवाळो थई पृथ्वीनुं पालन करतो हतो. एक वखते तेना मित्र बली नामे कोई राजा तेना नगरमां आवी चड्यो, तेने ते धनमित्रे वधारे स्नेहने लईने पोताना नगरमां वास कराव्यो. ते बंने राजमित्रो साथे भोजन, गमन, वनगमन, आगमन, शयन अने क्रीडा करता हता. जेम चंद्र कलाओना कलापथी युक्त छे, छतां तेने लांछन छे. कमळ लक्ष्मीना वासथी उत्तम छे. छतां तेमां कांटाओ छे. समुद्र गंभीर छे, छतां तेनुं जल खारथी दूषित छे, सूर्य अंधकारना समूहने हरनार छे, छतां तेनामां ताप छे, तेवी रीते धनमित्र राजा छतां तेनामां जुगार रमवा व्यसन हतुं, ते तेनामां एक मोटो अवगुण हतो. दैव रत्नने दूषित करनारो ज छे. आ जुगारना व्यसनने लईने राजा धनमित्र अने बली बंने सत्कृत्यथी विमुख थई कोईवार घणा द्रव्यनो, कोईवार उंची जातना अश्वोनो, कोईवार सारा हस्तीओनो, अने कोईवार पात्रोना समूहनो दाव मुकी जुगार रमवा लाग्या. द्युतव्यसनासक्तानां, सुकृताचरणं कुतः ।।४७८।। द्यूतना व्यसनमां आसक्त थयेला 1. चारित्रधर्म. श्री विमलनाथ चरित्र - चतुर्थ सर्ग 249
SR No.005931
Book TitleVimalnath Prabhunu Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherGuru Ramchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages378
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
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