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________________ सुख तथा सौभाग्य पात्र बने छे. चोथा व्रत उपरनी आ कथा रसिक अने बोधदायक छे. पांचमुं व्रत परिग्रह प्रमाण छे. जे मनुष्य ईच्छावडे धनधान्य वगेरे परिग्रहनुं प्रमाण करे छे तेने पांचमुं परिग्रह परिमाण व्रत कहेवाय छे, ए व्रत ग्रहण करवाथी सर्वनो नियम थतो होवाथी सम्यक्त्व मूळ बार व्रतोतुं ग्रहण पण थाय छे. ए व्रत विधिपूर्वक पाळवाथी देवदत्तनी जेम सुखी थाय छे अने ए व्रत लई तेनी विराधना करे छे ते जयदत्तनी जेम मरणादि दुःख पामे छे. दशे दिशाओमां जवाने माटे जे प्रमाण करवामां आवे छे तेने प्रथम गुणव्रत कहेवामां आवे छे. अने ते ग्रहण करी जेओ तेने पाळे छे तेओ रौहिणेयनी जेम स्व अने परजीव- रक्षण करे छे अने ते ग्रहण करी प्रमाद अने लोभथी विरोधे छे, ते रौहिणेयना पितानी जेम नाश पामे छे. जे भोगोपभोगनी वस्तुओमां वर्जवा योग्य होय ते वर्जि शकाय तेवी न होय तो तेनी अंदर अमुक संख्यानो नियम करवो ते सातमु (बीजुं गुणव्रत) भोगोपभोग विरमण व्रत कहेवाय छे. तेने अंगीकार करी तेनुं पालन करतां स्वर्णशेखरनी जेम दीर्घ आयुष्य अने परलोकमां सद्गतिने पामे छे. अने लई तेनी विराधना करे छे ते महेन्द्रनी जेम अल्प आयुष्य अने परलोकमां दुर्गतिने पामे छे. जेथी मनुष्यने अर्थ प्रयोजन विना कर्मरूपी राजा धर्मरूपी द्रव्य हरीने दंड आपे छे तेथी ते अनर्थदंड कहेवाय छे. जे पुरुषो अनर्थदंडनो त्याग करे छे तेओ आ पृथ्वीमां वीरसेननी जेम सर्व मान्य अने प्रशंसनीय थाय छे. अने अनर्थदंडने जेओ आचरे छे तेओ पद्मसेननी जेम मोटुं दुःख पामे छे. श्री जिनेश्वरोए दिग्विरति वगेरे त्रण व्रतो गुणनी प्राप्तिने लईने भव्य श्रावकोना गुणव्रत कहेला छे. यतिओनुं सुंदर सामायिकव्रत बे प्रकारे कहेल छे, ते सदा पाळवा छे. अने श्रावकोने सामायिक त्रण प्रकारचं कहेलुं छे अने बे घडी पाळवानुं छे. आ सामायिक शुद्ध पाळवाथी मनुष्य मोक्षने पामे छे. जेथी एक लाख सुवर्ण जेटलुं दान तेनी पासे कई गणत्रीमां नथी. सामायिक व्रतनो आश्रय करनार कदि तिर्यंच होय तो पण एक वानरनी जेम देवपणाने पामे छे. अहि एक वानरनी कथा आपवामां आवेल छे. देशावकाशिक व्रत ए दशमुं व्रत छे. जे दिवसे अने रात्रिना सचित्त वगेरेनो संक्षिप्त करवामां आवे छे तेने कवीश्वरोए मुख्यपणे आ बीजुं शिक्षाव्रत कहेल छे. हाल तो शास्त्रमा व्यवहार माटे विख्यात एवं दिग्विरतिना संक्षेपने Xvi
SR No.005931
Book TitleVimalnath Prabhunu Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherGuru Ramchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages378
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
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