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________________ भावतत्त्वना स्वरूप उपर चंद्रोदरनी कथा आवी रीते धीरज आपेला ते लोको राजकुमारीना वचन उपर दृढ थईने रह्या अने प्रधान वगेरे तो रात्रे पण सावधान थईने जागवा लाग्या. ज्यारे आशा रहित निशा थई तेवामां आकाशमां कोई बे पुरुषोनो मोटो अवाज आ प्रमाणे सांभळवामां आव्यो तेओमांथी एक ज बोल्यो "अरे! आ मारी ईच्छित कन्याने परणी तुं क्यां जाय छे? हुं तारी पासेथी तेणीने बलात्कारे लईश पृथ्वी वीर पुरुषोने भोग्य छे." त्यारे बीजो बोल्यो, "हुं तेणीने परण्यो छु तेने खेंची लेवाने तुं केम ईच्छे छे? तुं सत्वर मारी पासे आव एटले तारुं मस्तक छेदी ना." आ सांभळी ते लोकोना चित्त संभ्राते थई गया, आकाशमां दृष्टि फेरववा लाग्या अने कानने दुस्सह लागे तेवा तेमना खडगोना खटकारा आकाशमां सांभळवा लाग्या ते सांभळी लोको बोलवा लाग्या के, "आ पुरुषोमां आपणा कुमार हशो नहीं अने जो ते होय तो तेनो जय थाओ के जेथी सर्व प्राणीओने सुख थाय." आ प्रमाणे सर्व लोक कहेता हतां तेवामां किरणोना समूहथी दिशाओने प्रकाशमान करतो कोई प्राण रहित पुरुष आकाशमांथी पड्यो "हे नाथ, चंचळ जीवितनो त्याग करी तमे देवांगनाने वर्या हशो परंतु तमारा विना हुं उग्र दुःखने शी रीते सहन करी शकीश?" आ प्रमाणे आकाशमां विलाप करती कोई स्त्री रुदन सांभळी बधा लोको शोकाकुल बनी गया पछी राजाए दीपक मंगावी ते पडेला पुरुषने मृत्यु पामेलो जोयो ते कुमार चंद्रोदरने ओळखी तेणे रुदन करवा मांड्यु, राजकुमारी पण कुमारने मृत्यु पामेलो जाणी घणी शोकातुर बनी गई अने तेणी सेवकोनी पासे चिता प्रवेशनी सामग्री करावा लागी. राजा राणी अने सर्व लोको पण ते कर्म करवा लाग्या पछी राजकुमारी कुमारने चितामां आरोपण करी स्नान करी, आराधनानो विधिकरी अने पंच नमस्कारनु स्मरण करी जेवामां झंपापात करवा । जाय छे, तेवामां कुमारे आकाशमाथी आवी पोतानी प्रियाने का साहस कर नहीं स्थिर था, कारण के स्थिरतावाळामां लक्ष्मीनो संभव छे.' पछी सर्व लोकोनी साथे राजकुमारीए उंचुं जोयुं त्यां उत्तम पराक्रमवाळा कुमारने घणा हर्षथी जोयो अने कुमार विमानमांथी तरत उतरी भूमिचारी थयो. राजा तेने जोई सपरिवार हर्षित वदन बनी गयो. राजकुमार राजाने नमी सारा स्थान उपर बेठो पछी राजाए नजरे जोयेलो आकाशना युद्ध विषे सारी रीते पूछ्युं एटले कुमार बोल्यो, "कोई दुष्ट देवीए करेलुं ते छळ हशे." आ प्रमाणे तेओ भाषण करता हता तेवामां पेखें मडईं आकाशमा उडीने चाली गयुं ते समये सर्व लोकोने अने कुमारने पुर्नजन्म प्राप्त थयो, तेज वखते मोटो उत्सव थयो अने सर्व लोकोनो नगरमां सुखरूप श्री विमलनाथ चरित्र - तृतीय सर्ग 173
SR No.005931
Book TitleVimalnath Prabhunu Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherGuru Ramchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages378
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
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