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________________ धर्मतत्त्वना स्वरूप उपर पूर्णकळशनी कथा हुँ केवी रीते पूरी करी शकीश? कारण के पुरुषोनी वाणी चिंतित कार्यथी पण वधारे गणेली छे, आ प्रमाणे राजा चिंता करतो हतो. तेवामां श्रेष्ठ पराक्रमवाळो कुमार राजाना आंगणामां आव्यो. ते कुमारने जोईने राजा हृदयमा विचार करवा लाग्यो के, "रूपवान् विनयी दक्ष अने ब्होंतेर कलाओने धारण करनार आ उत्तम नर कोण हशे?" ते वखते युक्तिवाळा वचन बोलवामां विचक्षण एवी विचक्षणा बोली. "तेज आ आपना जमाई पराक्रमी श्री पूर्णकलशकुमार" ते सांभळी मंत्रीओ बोल्या. "आ सत्य छ, जुओ आ कुमारना शरीर उपर विवाह चिह्न दर्शनीय देखाय छे." ते सांभळी राजाए कह्यु के, "आ बहु सारं थयुं, मारी प्रतिज्ञा पूर्ण थई अने मने ईच्छित जमाई पण प्राप्त थयो." पछी राजाए केटलाएक पगलां सामे जई प्रणाम करी रहेला ते कुमारने भेटी आसन उपर बेसाड्यो. पछी राजाए देह तथा घरनी कुशळता पूछी कह्यु के, "अमारु घर हतुं ते छतां तमे . अतुल्य एवा देवालयमां केम सुई गया? हे प्राज्ञ, तमे जे तमारुं आगमन जणाव्यु नहि. ते सर्व कलाओने जाणनारा महान् पुरुषोनो स्वभाव ज छे. सूर्य ज्यारे उदय पामे छे त्यारे ते शुं बीजाओने पोतानो उदय जणावे छे? परंतु ते पोताना किरणोथी बीजाओना तेजनो नाश करे छे. वरसाद ज्यारे आवे छे, त्यारे ते शुंबीजाओने कहे छे? परंतु पोताना अमृतजळवडे बीजाना संतापनो नाश करे छे. सिंह ज्यारे आवे छे त्यारे ते शुं बीजाओने जणावे छे? परंतु ते पोताना पराक्रमोथी महीमत-पर्वतो अने राजाओना गजेंद्रोने त्रास आपे छे. चंद्र ज्यारे उदय पामे छे, त्यारे ते शुं बीजाओने जाहेर करे छे? परंतु ते पोताना विश्वमा देखाता किरणोथी अंधकारना समूहने दूर करे छे." कुमार पूर्णकळश बोल्यो, "हे स्वामी, आ वक्रगतिए चालनार 'नागने में स्तंभित करी दीधो, तेनु कारण साक्षात् नरेंद्र ज छे. जे रथ सूर्यना साक्षात् मंडलने वसुरहित करी दे छे, ते महाबळनो ज प्रभाव जाणवो." राजाए कडं, "कमलिनी जे हंसनो अंगीकार करवा आदर करे छे तेनुं कारण शुं पिता छे? तेमां तो प्रीति ज प्रमाणरूप छे. बंधुपणामां पण मुख्य कारण प्रीति ज छे. कुमुदने बीजा घणां सहज बंधुओ छे, पण कुमुद बांधव तो चंद्र ज कहेवाय छे; परंतु मात्र निमित्त कारणरूपे हुं विवाह करुं छं. कारण के गुरुए आपेली 1. नाग एटले हाथी अने बीजे पक्षे नाग एटले सर्प-हाथी उन्मत्तपणे वक्रगतिवाळो अने सर्प स्वभावे वक्रगतिए चालनारो छे. कुमार राजाने कहे छे के, में जे आ हाथीने वश कर्यो, तेनुं कारण आप नरेंद्र छो. सर्पपक्षे-नरेंद्र एटले गारूडी. 2. वसु-तेजथी रहित पक्षे वसुधनथी रहित. 3. विद्यापक्षे गुरु-शिक्षक, कन्यापक्षे गुरु-पिता अथवा वडील. श्री विमलनाथ चरित्र - द्वितीय सर्ग 131
SR No.005931
Book TitleVimalnath Prabhunu Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherGuru Ramchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages378
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
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