SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 248
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २९ श्री दर्शन विजय रचित जगद्गुरु श्रीहीरविजयसूरीश्वरजी की बड़ी पूजा प्रथम जल पूजा दोहा जय जय सुमति जिणंदजी, जय सुपार्श्व जिनन्द । जय जय आदिश्वर प्रभो, जय जय पार्श्व जिनंद ॥ १ ॥ जय जय सूरि वाचक मुनि, जिन शासन शणगार । जगगुरु हीरसूरीश्वरा, युग प्रधान अवतार ॥ २ || · जय चारित्रविजय गुरु, चरणमें शीष नमाय 1 जगगुरु की पूजा रचूं, सबही को सुखदाय ॥ ३ 11 (ढाल १ ) (तर्ज- आवो आवो आदीश्वर बांबा, ग्रहो इक्षु रस दान ) आवो आवो ओ प्यारे सज्जन, करो गुरु गुणं गान ॥ टेर ॥ महावीर के पाट परंपर, हुये श्री युगप्रधान । वचनसिद्ध और उग्र तपस्वी, जगचंद्रसूरि जाण ॥ आवो० ॥ १ ॥ जिनके चरनमें शीष झुकावे, मेदपाट का राण । तपा तपा कह के बुलावे, जैत्रसिंह बलवान ॥ आवो० ॥ २ ॥ श्री देवेन्द्रसूरीश्वर त्यागी, देव पूज्य श्रुतवान । कर्मग्रन्थ आदि शास्त्रों का, किया जिनने निरमाण || आवो० ॥ ३ ॥ दादा साहेब धर्मघोषसूरि, त्यागी युगप्रधान । महामंत्रवादी व प्रभाविक हुये धर्म के प्राण ॥ • आवो० ॥ ४ ॥ २०६
SR No.005849
Book TitleHir Swadhyaya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahabodhivijay
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year1998
Total Pages356
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy