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________________ अकबर हो परचा बतलाया जीवोंकी छुडवाया हिंसा 11 दया दान प्रति पालक गुरू को लाखों प्रणाम ॥ ८ ॥ अथ तृतीय पुष्प पूजा पर्युषण पर्व अरू बारह दिन, अपने बाहर सब सुवोंमें अकबर से जीवदया पत्रा, लिखवाया हीरसूरीश्वरने ॥ ४ ॥ छव मासी जीव दया पत्रा, लिखवाया सूरि शिष्योंने । त्यागी साधू की महिमा को, बतलाया हीरसूरीश्वरने ॥ ५ ॥ नृप कईयों से भी जीवदया, बहुतेरों दिनतक पलवाई। दीपाया वीर प्रभु शाशन, भट्टारक हीरसूरीश्वरने ॥ ६ ॥ अथ चतुर्थ धूप पूजा रत्नपाल डोसी का बच्चा, मरणासन पर आया । जीवित दान दिया तत्काल में, जगद्गुरू सूरिरायारे ॥ ५॥ बडावली कुं विहार करते, सर्प अचानक आवे । लाभविजय को डंक मारते, ततक्षण जहर मीटावेरे ॥ ६ ॥ अथ पंचम दीपक पूजा आत्मसंयमी इन्द्रियदमनी, दीनन पति सूरिराया । शाशन दीपक हीरसूरीश्वर वर्णन चहुं दिशी छाया ॥ ३॥ शास्त्र सिद्धांत मथनकर, सद्गुरू सत्य स्वरूप बताया । प्रतिमा पूजन जग हित कारक, ज्ञान ज्योति प्रगटाया ॥ ४॥ अथ षष्ठम अक्षत पूजा हीरसूरि दो हजार मुनि में, चक्रवर्ती सम भूप सोहंद । मेघजीऋषी लुंकागच्छ तज कर, सत्य संविग्न दीक्षा गहंद ॥ ४ ॥ २०४
SR No.005849
Book TitleHir Swadhyaya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahabodhivijay
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year1998
Total Pages356
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size6 MB
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