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श्रीफतेन्द्रविजयरचित
अथ दादा हीरविजयसूरि स्तवन
॥ राग- थायै ॥
चालो भवी वंदन जईये, हीरविजयसूरी राय, चा० ही ० पूजत परमानन्दा, मिले सज्जन सहु भाय चा० ॥ १ ॥
दादोजी परचा पूरें, तपगछ संघ संवाय, ॥ चा०॥ अकबर साह प्रतिबोधीयों, दिल्लीनों पतिसाय. चा० ॥ २ ॥ मारीरोग निवारियों, जीव हिंसा मिटाय, ॥ चा० ॥ जमुना के जल उपरें, गुरुवाट बनाय. चा० ॥ ३ 11 जिनमत थिरतां थापी, जैन धरम दीपाय ॥ चा. ॥ दादोजी सेवकां सांनिध्यकारी फतेन्द्रविजय गुण गाय.
चा० ॥ ४ ॥
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