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दीन रात चाले जो दोरेजो आवे
फुन साहके त्रसना जन भावे
दिन चार तो राहके वीच लाये
दिन पांच अमदावाद जो आये बाबाषांनकौं जाय इतना सुनाया
.वहंत जात हे
उपरे .जो पीलवान आकुसे जो हाथ हे
जरावकी जो पाखरे गयंद तो चले सवार नांम तो कीते लहुं हाथीया तो केइ . हजार
उपर तो विरधमान देषीये भली जो ढाल हाथीया तो यों चले जानकीं भेजी रसाल
घोडे तो सवारं ल्याये चाले तो चतुर चाल लाल चाल चावकी कीसोर चोर हासले काबरे कबूतरे हंसरा सुपेत रंग पीठ जाकी चोतरे
जराव के बने ज जीन मोतीकेरे झालरे
पंचरंग सोवने हेमकी बनी लगाम फुंदना तो रेसमी लाल जरद सवज स्याम गीरजगाह बंधीये
उपरे जो असवार देषीये भले भले सुरपति यों कहे देवता जो ए चले
काबील बने जो उंट उपरे चडे नीसांन ह तो उड़ी रहे अलोप भये जो भांनं
कामनी कीये सींगार हीर चीर पहनीये मुष तो वीराजै पांन सीस बंध दीजीये
नारी तो सब मीली मंगल जो गावये सोने रूपे के कुल मोतीयों वधावये
फीरंगसु फसकलात पावतले बिछाव थानसींघ दोर कें पतसाहकौ सुनावये
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