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________________ दोहरा पातसाहजी यों कहे राजा भेजो च्यार श्रीहीरवीजैकों बुलायकर दे हम दीदार ॥ १ ॥ श्रीहीरविजैसुर आइया तीहां छत्रपति सुरग्यान आवत देष षडे भये दीनो बहुत जो मांन ॥ २ ॥ तव पातसाहजी योकर पुछीया जुबाप कीयो मुनिराय.... अकबरसाह पुसी भये तव वंदे गुरुके पाय ॥ ३ ॥ छंद अरील साह कहे मुनि हय गय लीजे पूज कहे हय गय ले क्या कीजे साह कहेकछु लीजे दांम पूज कहै नही हम तीन काम साह कहे तुम कछु फरमावो भि इंहां काहेकौं • आवो पूजै जु माग्या वात विचारी माग्या देहु तो कोइ जीव न मारें तव साहजी जीवदयाका क्या हे धरम जु कहो पूजै हमै चोही मरम जु ॥ दोहरा हय गय कंचन माल अनंत जो कोइ देह अनेक तामे धरम अधक हे जा जींव राषे एक ॥ १ ॥ साह कहे तुमही कहो सो क्या जाने साच जे कछु पुस्तंगमें लीष्यो सोइ देषावो वाच ॥ २ ॥ पूज कहे पुस्तक सुनो शांतिः नेमजिन पास त्याके फल देषै पछै साह अकबर रास ॥ ३ ॥ पूज वचन साह सुनतही लिष भेजे फुरमांन जीव न मारे मही माहै साह अकबर आंन ॥ ४ ॥ छंद पूज कह्यो सो साहन कीन्हो................... (अपूर्ण) COOZAT pox DMCA मान DGN VOODOOLU DOL DGADGADGAOon O०१७४DOWN9OWNeppen
SR No.005849
Book TitleHir Swadhyaya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahabodhivijay
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year1998
Total Pages356
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size6 MB
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