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________________ किम्-यत्-तद्-बहोरः ५।१।१०१॥ भवाय5 किम् यत् तद् अने. बहु नामथी. ५२मां. २४८कृ धातुने. अ प्रत्यय. थाय. छ. किम्+कृ; यत्+कृ; तत् + कृ भने. बहु + कृ धातुने ॥ सूत्रथी. अ प्रत्यय. कृ धातुन। कने 'नामिनो० ४-३-१' थी. गु. अर् आहे. 'ङस्युक्तं० ३-१-४९' थी. तत्पुरुषसमाAula sil थवाथी. किंकरा; यत्करा; तत्करा भने. बहुकरा मावो प्रयोग थाय. छ... (म. किंकर.. वगैरे नामने 'आत् २-४-१८' थी आप् प्रत्यय थयो छ.) मथमश:- शु ४२ .४ ७२नारी. ते. ४२नारी. १९j ४२नारी..।।१०१।। संख्या-ऽह-दिवा-विभा-निशा-प्रभा-भाश्चित्र-कर्नाद्यन्ता-नन्त-कार-बाह्वरुर्धनु-र्नान्दी-लिपि-लिवि-बलि-भक्ति-क्षेत्र-जङ्घा-क्षपा-क्षणदा रजनि-दोषा-दिन-दिवसाट्टः ५।१।१०२॥ - भवाय संख्या नामथी. तभ०४ उपाय - संध्या विशेषाय एक - 'द्वि वगैरे नामयी ५२मा २४ा; तथा भवाय - अहन् दिवा विभा निशा प्रभा भास् चित्र कर्तृ आदि अन्त अनन्त कार बाहु अरुष धनुष् नान्दी लिपि लिवि बलि भक्ति क्षेत्र जङ्घा क्षपा क्षणदा रजनि (रजनी ५५) दोषा दिन भने दिवस नामथा. ५२मा २४ा कृ धातुने. ट (अ) प्रत्यय थाय छे. संख्या+कृ; द्वि+कृ; अहन् + कृ........... वगैरे घातुने ॥ सूत्रथी. ट (अ) प्रत्यय. 'नामिनो० ४-३-१' थी कृ धातुन क्र ने गुए. अर् माहेश.. 'इस्युक्तं० ३-१-४९' थी तत्पुरुषसमास. वगेरे हाथ थवाथी सङ्ख्याकरः; द्विकरः; अहस्करः; (मी. अहन् । न् ने 'रो लुप्यरि २-१-७५' थी र वगैरे 51 थाय छे.) दिवाकरः; विभाकरः; निशाकरः; प्रभाकरः; भास्करः; चित्रकरः; कर्तृकरः; आदिकरः; अन्तकरः; अनन्तकरः; कारकरः; बाहुकरः; अरुष्करः; धनुष्करः; नान्दीकरः; लिपिकरः; लिविकरः; बलिकरः; भक्तिकरः; क्षेत्रकरः; जङ्घाकरः; क्षपाकरः; क्षणदाकरः; ૫૪
SR No.005829
Book TitleSiddhhemchandra Shabdanushasan Laghuvrutti Vivran Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptavijay
PublisherMokshaiklakshi Prakashan
Publication Year
Total Pages292
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size15 MB
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