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- १०३ ऋ+य - मा सूत्रथा यङ् प्रत्यय. अ+य = अर्य - क्य-यङा... ४-3-१० थी ऋ नो गुअर्. अर्यर्य - स्वरादे... ४-१-४ थी. द्वितीय द्वित्व. अर्य - व्यञ्जन... ४-१-४४ थी मनाहि व्यं४न य् नो तो५. अरार्य - आगुणा... ४-१-४८ थी र न। अ नो आ. હવે પછીની સાધનિકા અત્યંતે પ્રમાણે થશે. भृशं पुनः पुनः वा सूत्रयति - सोसूयते = ते घी २यना ४३ छे. अथवा पारंवा२. २यन। ४३ छ. सूत्रण - विमोचने (१८८८) सूत्र+इ - चुरादि... 3-४-१७ थी. णिच् प्रत्यय. सूत्रि - अतः ४-3-८२ थी अ नो दो५.
सूत्रिय - 4॥ सूत्रथा. यङ् प्रत्यय. ___ सूत्र्य - णेरनिटि ४-3-८3 थी णिच् नो दो५.
सूसूत्र्य - सन्... ४-१-3 थी माघ मे २१२iश द्वित्व. . सोसूत्र्य - आगुणा... ४-१-४८ थी ऊ नो गु! ओ.
पे पछीनी सापनि अटाट्यते प्रमाणे थशे. • (४) भृशं पुनः पुनः वा मूत्रयति - मोमूत्र्यते = ते पो पेश५५ ६२ छ
मथवा वारंवार पेशाब ७३ . मूत्रण - प्रस्रवणे (१८००) (५) भृशं पुनः पुनः वा सूचयति - सोसूच्यते = घel सूयन॥ ४३ छ
Aथqा पारपार सूयन। ४३ छ. सूचण् - पैशून्ये (१८५४)
मापनेनी सापनि सोसूयते प्रभारी थशे. (६) भृशं पुनः पुनः वा अश्नाति - अशाश्यते = ते घj पायछ अथवा वारंवार
पाय छे. अशौटि - व्याप्तौ (१३१४), अशस्-भोजने (१५५८). अश्य = अश्य-20 सूत्रथा यङ् प्रत्यय. अश्यश्य - स्वरादे... ४-१-४ थी. द्वितीय अंश द्वित्व. अशश्य - व्यञ्जन... ४-१-४४ थी मनाहि व्यं४न य नो. तो५. अशाश्य - आगुणा... ४-१-४८ थी श न अ नो आ.