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શ્રી સિદ્ધહેમચન્દ્રશબ્દાનુશાસનસૂત્રાકારાદ્યનુક્રમણિકા [૧૧
सूत्रम् । याचितापमि० ॥ ६-४-२२ याजकादिभिः ॥ ३-१-७८ ॥ याज्ञिकौथिक० ॥६-२-१२२॥ याज्या दानचि ॥ ५-१-२६ ॥ याम्युलोरि० ॥ ४-२-१२३ ॥ यायावरः ।। ५-२-८२ ॥ यावतो० ॥ ५-४-५५ ॥ यावदिय ॥ ३-१-३१ ॥ यावादिभ्यः कः ॥ ७-३-१५॥ यिः सन्वेयः ॥ ४-१-११ ॥ यि लुक् ॥ ४-२१०२ ॥ युजञ्चकुचो० ॥ २-१-७१ ॥ युजभुजभज० ॥ ५-२-५० ॥ युजादेर्नवा ॥ ३-४-१५ ॥ युजोऽसमासे ॥ १-४-७१ ॥ दुद्रोः ॥ ५-३-५९ ।। युषूद्रोर्घञ् ॥ ५-३-५४ ॥ घर्णवृद० ॥ ५-३-२८॥ युववृद्ध० ।। ६-१-५ ॥ युवा खलति० ॥३-१-११३॥ युवादेरण् ॥ ७-१-६७ ।। युष्मदस्मदोः ।। २-१-६ ॥ युष्मस्मदो -देः ॥ ७-३-३० ॥ यूनस्तिः ॥ २-४-७७ ॥ यूनि लुप् ।। ६-१-१३७ ॥
सूत्राङ्क ।
सूत्राङ्क ।
सूत्रम् । यूनो के ॥ ७-४-५० ॥ यूयं वयं जसा ॥ २-१-१३॥ ये नवा ॥ ४-२-६२ ॥ ययौ चलुक् च ॥७-१-१६४।' ये वर्णे ॥ ३-२-१०० ॥ यैयकभाव० ॥ ६-१-९७ ॥ योगकर्मभ्यां० ॥ ६-४-९५ ॥ योग्यतावीप्सा० ॥३-१-४०॥ योप्रयोजना० ॥ ६-२-११३॥ astrस्वरस्य ॥ २-१-५६ ॥ योपान्त्या - कञ् ॥ ७-१-७२ ।। योऽशिति ॥ ४-३-८० ॥ यौधेयादेरञ् ॥ ७-३-६५ ॥ व्यक्ये ॥ १-२-२५ ॥ खः पदान्तात् ॥ ७-४-५ ॥ वृत् सकृत् ॥ ४-१-१०२ ॥ खुवर्णालुघ्वादेः ॥ ७-१-६९॥ स्वाः व्यऽय्० ।। ४-४-१२१ ॥ रः कखप - (पौ ॥ १-३-५ ॥ रः पदान्ते ।। १-३-५३॥ रक्ता नित्यवर्णयोः ॥७-३-१८।। रक्षदुञ्छतोः ॥ ६-४-३० ॥ रङ्कोः प्राणिनि वा ॥ ६-३-१५॥ रजः फलेमला० ||५-१-९८॥ रथवदे ॥ ३-२-१३१ ॥