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११० सिम - पसाबमोधिनी
सूत्रम्। सूत्राङ्क । सूत्रम् । सूत्राङ्क। मोर्वा ॥ २-१-९॥
यत्तत्किमः ॥ ७-१-१५० ॥ मोऽवर्णस्य ॥ २-१-४५ ॥ यत्तत्किमन्यात् ॥ ७-३-५३ ॥ मौदादिभ्यः ॥ ६-३-१८२ ॥ यत्तदेतदो० ॥ ७-१-१४९ ॥ म्नां घुड-न्ते ॥ १-३-३९ ॥ यथाकथाचाण्णः ॥६-४-१००॥ म्रियतेरद्यत०॥ ३-३-४२॥ यथाकामा-नि ॥७-१-१००॥ यः ॥ ६-३-१७६ ॥
यथातथादी० ॥ ५-४-५१ ॥ यः ॥ ७-१-१ ॥
यथाऽथा ॥३-१-४१ ॥ यः एश्चातः ॥ ५-१-२८ ॥ यथामुख० ॥ ७-१-२३ ॥ यः सप्तम्याः ॥ ४-२-१२२॥ यद्वाबो भाव० ॥२-२-१०६॥ या तुरुस्तो० ॥ ४-३-६४ ॥ यद्धदस्त० ॥२-२-४६ ॥ यजसृज-यः ॥ २-१-८७ ॥ यद्वीक्ष्ये० ॥ २-२-५८ ॥ यजादिवचेः० ॥ ४-१-७९ ॥ यपि ॥ ४-२-५६ ॥ यजादिवश० ॥४-१-७२ ॥ यपि चादो० ॥ ४-४-१६ ॥ यजिजपिदंशि० ॥ ५-२-४७॥ यबक्ङिति ॥ ४-२-७ ॥ यजिस्वपिरक्षि० ॥५-३-८५॥ यमः सूचने ॥ ४-३-३९ ॥ यजेर्यज्ञाङ्गे ॥४-१-११४ ॥ यमः स्वीकारे ॥ ३-३-५९ ॥ यज्ञादियः ॥ ६-४-१७९ ॥ यमिमदिगदो० ॥ ५-१-३० ॥ यज्ञानाम् ॥ ६-४-९६ ॥ यमिरमिनम्या० ॥ ४-४-८६ ॥ यज्ञ ग्रहः ॥ ५-३-६५ ॥ यमोऽपरिवे० ॥ ४-२-२९ ॥ यझे भ्यः ॥ ६-३-१३४ ॥ यरलवा० ॥ १-१-१५ ॥ यत्रोऽश्या:०॥६-१-१२६॥ यवयवक० ॥ ७-१-८१ ॥ यभित्रः ॥ ६-१-५४ ॥ यवयवनार० ॥२-४-६५ ॥ यो डायन्० ॥ २-४-६७ ॥ | यश्वोरसः ॥ ६-३-२१२ ।। यतः प्रतिनि० ॥ २-२-७२ ॥ । यस्कोदेगोत्र ॥ ६-१-१२५ ॥ यत्कर्मस्पात् ॥५-३-१२५॥ | यस्वरे पा-टि ॥२-१-१०२॥