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५४. ] सिम - पादावोधिनी
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सूत्रम्। सूत्राङ्क । । सूत्रम्। सूत्राङ्क । दागोऽस्वास्य० ॥ ३-३-५३ ॥ | दीर्घः ॥ ६-४-१२७ ॥ दाधेसिशद० ॥५-२-३६ ॥ दीर्घड्याच्० । १-४-४५ ॥ दाण्डाजिनिका० ॥७-१-१७१॥ दीर्घमवोऽन्त्यम ॥४-१-१०३।। दामः सम्प्रदाने० ॥२-२-५२॥ दीर्घत्रिच्चयङ० ॥४-३-१०८।। दामन्यादेरीयः ॥ ७-३-६७ ॥ | दीघों, नाम्न्य० ॥ १-४-४७ ॥ दाम्नः ॥ २-४-१० ॥ दुखात्प्रतिकूल्ये ॥७-२-१४१॥ दाश्वत्साह्वन्० ॥४-१-१५ ॥ 'दुःस्वीषतः० ॥ ५-३-१३९ ॥ दिक्कपूर्वपदा० ॥ ६-३-२३ ॥ दुगोरू च ॥ ४-२-७७ ॥ दिकपूर्वात्तौ ॥ ६-३-७१ ॥ दुनादिकुवि० ॥६-१-११८ ॥ दिक्शब्दातीर० ॥३-२-१४२॥ दुनिन्दाकृच्छे ॥ ३-१-४३ ॥ दिक्शब्दा-म्याः॥७-२-११३॥ दुष्कुलदेयण्वा ॥ ६-१-९८ ।। दिगधि कं० ॥ ३-१-९८ ॥ दुहदिहलिह० ॥ ४-३-७४ ॥ दिगादिदहांशाधः ॥६-३-१२४॥ दुहेर्डघः ।। ५-१-१४५ ॥ दितिश्चैयण वा ॥ ६-१-६९ ॥ | दूरादामन्त्र्य० ॥ ७-४-९९ ।। दिद्युद्दज-पः॥५-२-८३ ॥ दूरादेत्यः ॥ ६-३-४ ॥ दिव औः सौ ॥२-१-११७ ॥ दृग्दृशदृक्षे ॥ ३-२-१५१ ॥ दिवस दिवः०॥ ३-२-४५ ॥ दृतिकुक्षि-यण ॥६-३-१३०॥ दिवादेः श्यः ॥ ३-४-७१ ॥ दृतिनाथात् ॥ ५-१-९७ ।। दिवो द्यावा ।। ३-२-४४ ॥ दृन्पुनर्वा० ।। २-१-५९ ॥ दिशो रूढ्या० ॥३-१-२५॥ दृवृगस्लुजुषे० ॥ ५-१-४० ॥ दिस्यारीट् ॥ ४-४-८९ ॥ दृश क्वनिष् ॥ ५-१-१६६ । । दीङा नि वा ॥ ४-२-६ ॥ दृश्यभिवदोरात्मने ॥२-२-९॥ दीपजनबुध० ॥ ३-४-६७ ॥ दृश्यथैश्चिन्तायाम् ॥२-१-३०॥ दीप्तिज्ञानयत्न० ॥३-३-७८ ॥ | दृष्टे साम्नि नाम्नि॥६-२-१३३।। दीय दीङः-रे ॥ ४-३-९३ ॥ | देये त्रा च ॥ ७-२-१३३ ॥