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५८० } सिंभ - मासावमाधिन
सूत्रम् । सूत्राङ्क। गतिः ॥ १-१-३६ ॥ गतिकारक० ॥ ३-२-८५ ।। गतिक्वन्य० ॥ ३-१-४२ ।। गतिबोधा० ॥ २-२-५॥ गते गम्ये० ।। २-२-१०७ ।। गतेनवाऽनाप्ते ॥ २-२-६३ ॥ गतौ सेधः ॥ २-३-६४ ॥ गत्यर्थवदो० ॥३-१-८॥ गत्यर्थाकर्मक० ॥ ५-१-११ ॥ गत्यर्थात् ॥ ३-४-११ ॥ गत्बरः ॥ ५-२-७८ ॥ . गन्धनावक्षे० ॥ ३-३-७६ ॥ गमहनजन० ॥ ४-२-४४ ॥ गमहनविदल० ॥४-४-८३ ।। गमां को ॥ ४-२-५८ ॥ गमिषद्यमच्छः ॥४-२-१०६॥ गमेः क्षान्तौ ॥ ३-३-५५ ॥ गमोऽनात्मने ॥ ४-४-५१ ॥ गमो वा ॥ ४-३-३७ ।। गम्भीर-चात् ॥ ६-३-१३५ ॥ गम्ययपः० ॥ २-२-७४ ॥ गम्यस्याप्ये ॥ २-२-६२ ॥ गर्गभार्गविका ॥६-१-१३६ ॥ गर्गादेयञ् ॥ ६-१-४२ ॥ गर्वोत्तर० ॥ ६-३-५७ ॥
सूत्रम्। सूत्राङ्क । गर्भादप्राणिनि ॥ ७-१-१३९ । गवाश्वादिः ॥ ३-१-१४४ ॥ गवि युक्ते ॥ ३-२-७४ ॥ गवि युधे० ॥ २-३-२५ ॥ गस्थकः ॥ ५-१-६६ ॥ गहादिभ्यः ॥ ६-३-६३॥ गहोर्जः ॥ ४-१-४० ॥ गाः परोक्षायाम् ॥४-४-२६। गात्रपुरुषात्स्नः ॥ ५-४-५९ ॥ गाथिविद-नः ॥ ७-४-५४ ॥ गान्धारिसाल्वे०॥६-१-११५॥ गापापचो भावे ॥५-३-९५॥ गापास्थासादा० ॥४-३-९६॥ गायोऽनुपसर्गात् ॥५-१-७४ गिरिनदी-द्वा । ७-३-९० ॥ गिरिनद्या० ॥२-३-६८॥ गिरिरीयोऽस्त्रा० ॥६-३-२१९॥ गुणाङ्गाद० ।। ७-३-९ ॥ गुणाद-नवा || २-२-७७ ॥ गुणादिभ्यो यः ॥ ७-२-५३॥ गुणोऽरेदोत् ॥ ३-३-२॥ गुपौधूपवि० ॥ ३-४-॥ गुप्तिजो-सन् ॥ ३-४-५ ॥
गुरावेकश्च ॥ २-२-२२४ ॥ | गुरुनाम्यादे० ॥३-४-४८॥