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श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनसूत्राणाम्
अकाराधनुक्रमणिका
सूत्रम् । सूत्राङ्क। । सूत्रम् । सूत्राङ्क । इउवर्ण-देः ॥ १-२-४१ ॥ | अग्निचित्या ॥ ५-१-३७ ॥ iअ-सगौ ॥ १-१-९॥ अग्नेश्चेः ॥ ५-१-१६४ ॥ । अक-शिट् ॥ १-१-१६ ॥ | अग्रहानुपदेशे० ॥ ३-१-५ ।। शिं हारिणि ॥ ७-१-१८२ । । अधक्य पल-वी ॥४-४-२॥ शाहतोः ॥ ७-४-१४ ॥ अधोष-शिटः ॥ १-३-५० ॥ : सपन्याः ॥ ७-१-११९ ॥ । अघोषे शिटः ॥ ४-१-४५ ॥
सृजिदृशो० ॥ ४-४-१११॥ अप्रतिस्तब्ध० ॥२-३-४१ ।। ः स्थाम्नः ॥६-१-२२ ॥ | अङे हिहनो हो० ॥४-१-३४।। कखाद्य-वा || २-३-८७ ॥ अङ्गान्निरसने णिङ् ॥३-४-३८॥ कटाधिनोश्च० ॥४-२-५० ॥ अङ्गस्थाच्छनादेरञ् ॥६-४-६०॥ कद-ये ॥ ७-४-६९ ॥ अच् ॥ ५-१-४९ ॥ कमेरुकस्य ॥ २-२-९३ ॥ । अचः ॥ १-४-६९ ॥ किल्पात् सूत्रात् ॥६-२-१२०॥ अचर्मणो त्ये ॥ ७-४-५९ ॥ कालेऽव्ययीभावे ॥३-२-१४६॥ अचि ॥ ३-४-१५ ॥ केन क्रीडाजीवे ॥ ३-१-८१ ॥ अचिताददेशकालात्॥६-३-२०६॥ क्लीबेऽध्वर्युक्रतोः॥३-१-१३९॥ | अचित्त टक ॥५-१-८३ ।। पक्ष्णोऽप्राण्यते ॥ ७-३-८५ ॥ | अञ्चप्राग्दीर्घश्च ॥ २-१-१०४ ॥ प्रगासन्तादिकः ॥ ६-४-७५ ॥ | अजातेः पञ्चम्याः ।। ५-१-१७०॥ पगिलाद्विलगिल० ॥३-२-११५॥| अजाते: शीले ॥ ५-१-१५४ ॥