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________________ २ स्थानकाध्ययने उद्देशः ३ जम्बूद्वीपादेः वेदिकादेः वर्णनम् ९१-९२-९३ सूत्राणि श्री स्थानाङ्गसूत्र सानुवाद भाग १ गाउयाइ उड्ढउच्चत्तेणं पन्नत्ता ।। सू० ९१।। धायइसंडे दीवे पुरच्छिमद्धे णं मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं दो वासा पन्नत्ता बहुसमतुल्ला जाव भरहे चेव एरवए चेव, एवं जहा जंबुद्दीवे तहा एत्थ वि भाणियव्वं जाव दोसु वासेसु मणुया छव्विंह पि कालं पच्चणुभवमाणा विहरंति, तंजहा भरहे चेव एरवते चेव। णवरं कूडसामली चेव धायइरुक्खे चेव, देवा गरुले चेव वेणुदेवे, सुदंसणे चेव (१)। धाततीसंडदीवपच्चच्छिमद्धे [णं] मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं दो वासा पन्नत्ता बहुसमतुल्ला जाव भरहे चेव एरवए चेव जाव छव्विहं पि कालं पच्चणुभवमाणा विहरंति [तंजहा–] भरहे चेव एरवए चेव, णवरं कूडसामली चेव महाधायतीरुक्खे चेव, देवा गरुले चेव वेणुदेवे पियदंसणे चेव। धायइसंडे णं दीवे दो भरहाई, दो एरवयाई, दो हेमवयाई, दो हेरनवयाई, दो हरिवासाई, दो रम्मगवासाई, दो पुव्वविदेहाई, दो अवरविदेहाई,दो देवकुराओ, दो देवकुरुमहदुमा, दो देवकुरुमहदुमवासी देवा, दो उत्तरकुराओ, दो उत्तरकुरुमहहुमा, दो उत्तरकुरुमहहुमवासी देवा (२)। दो चुल्लहिमवंता, दो महाहिमवंता, दो निसहा, दो नीलवंता, दो रुप्पी, दो सिहरी, दो सद्दावती, दो सद्दावतिवासी, साती देवा, दो वियडावती, दो वियडावतिवासी पभासा देवा, दो गंधावती, दो गंधावतिवासी अरुणा देवा, दो मालवंतपरियागा, दो मालवंतपरियागवासी पउमा देवा। दो मालवंता, दो चित्तकूडा, दो पम्हकूडा, दो नलिणकूडा, दो एगसेला, दो तिकूडा, दो वेसमणकूडा, दो अंजणा, दो मातंजणा, दो सोमणसा, दो विज्जुप्पभा, दो अंकावती, दो पम्हावती, दो आसीविसा, दो सुहावहा, दो चंदपव्वता, दो सूरपव्वता, दो णागपव्वता, दो देवपव्वया, दो गंधमायणा, दो उसुगारपव्वया (३), दो चुल्लहिमवंतकूडा, दो वेसमणकूडा, दो महाहिमवंतकूडा, दो वेरुलियकूडा, दो निसहकूडा, दो रुयगकूडा, दो नीलवंतकूडा, दो उवदंसणकूडा, दो रुप्पिकूडा, दो मणिकंचणकूडा, दो सिहरिकूडा, दो तिगिच्छिकूडा। दो पउमद्दहा, दो पउमद्दहवासिणीओ सिरीदेवीओ, दो महापउमद्दहा दो महापउमद्दहवासिणीओ हिरी [तो] देवीओ, एवं जाव दो पुंडरीयद्दहा, दो पोंडरीयद्दहवासिणीओ लच्छीओ देवीओ। दो गंगापवायदहा, जाव दो रत्तावतिप्पवातद्दहा (४), दो रोहियाओ, जाव दो रुप्पकूलातो, दो गाहवतीओ, दो दहवतीओ, दो पंकवतीओ, दो तत्तजलाओ, दो मत्तजलाओ, दो उम्मत्तजलाओ, दो खीरोयाओ [खारोयाओ], दो सीहसोताओ, दो अंतोवाहिणीओ, दो उम्मिमालिणीओ, दो फेणमालिणीओ, दो गंभीरमालिणीओ। दो कच्छा, दो सुकच्छा, दो महाकच्छा, दो कच्छगावती, दो आवत्ता, दो मण]गलावत्ता, दो पुक्खला, दो पुक्खलावई, दो वच्छा, दो सुवच्छा, दो महावच्छा, दो वच्छगावती, दो रम्मा, दो रम्मगा, दो रमणिज्जा, दो मंगलावती, दो पम्हा, दो सुपम्हा, दो महापम्हा, दो पम्हगावती, दो संखा, दो णलिणा, दो कुमुया, दो सलिलावती (णलिणावती), दो वप्पा, दो सुवप्पा, दो महावप्पा, दो वप्पगावती, दो वग्गू, दो सुवग्गू, दो गंधिला, दो गंधिलावती ३२ (५)। दो खेमाओ, दो खेमपुरीओ, दो रिहाओ, दो रिट्ठपुरा[री]ओ, दो खग्गीतो, दो मंजुसाओ, दो ओसधीओ, दो पोंडरिगिणीओ, दो सुसीमाओ, दो कुंडलाओ, दो अपराजियाओ, दो पभंकराओ, दो अंकावईओ, दो 123
SR No.005767
Book TitleSthanang Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherGuru Ramchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages520
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & agam_sthanang
File Size14 MB
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