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________________ शालिसा (भाग- २ERRENमध्य. ४ 554 चतुर्थ अध्ययन/ झिा निज्ञानिौ चीज जोशीकरणजिन पडजीवनिकाघ अध्यपना अनुयोगाव्दार -४ उपक्रम निक्षेप अनुगम छि जीवनिकाय तुं सवनपरितापनादिलक्षण दड में निषि (म्नन्वयनमायामा न मरे, न करावे, न अनुमोदै ते 'चरित्रधर्म छे (पण भांग धी) सूक्ष्मन्बावर अथवा नस-स्थावरजी हिंसा न करे इत्यादि..... द्रव्येपी नयी कारची प्रावधी | पइजीय निकाय तिमोकादि निकाल दिवस-शन रोग-वैवधी लोभ-अथरहास्य धीमषानबीले.. -भा)(प्रेम-देब-कबह-अध्याध्यान) मृपावाद मावशी मनावप्रतिषेध अमनोरनतिषेध अन्तिर । . ममावाप क्षेत्र पी. कानयोसर्व योनी अन्यथा प्रशपणाकरोलियोकामओक संबंधी शिव-दिवस संबंधी गण कालम मायादि की। जिमपागद चतुर्मगी --अव्यथी मने मावग्री | जे पुसमामनधी मपा विधारे अने क्रन यी बोले ते . . . . पण ॥ • सत्य बोलाईजामते , x । मगने बचावा शिकारी ने मृषा काटेकुंते FFF कालेकी अदत्तादान . द्रव्यची त्रधी | सिन्म-बहु मुल्म,अणुन्स्यूला गाम-नगर- अरण्य) शिप्रे.दिवझे प्रण कालमा शिगधी देशी सचित अचिन्तनी चौरी. .. अदनादान चतुर्मगी → व्यची मने भावची इ.संपतनकायापीगीते ...ची चोरी का प्रेम रियारपण काणधीनते " रागादि यी हित तृणादि दाताए माप्या धगर महण कीते -- 2.70.
SR No.005764
Book TitleDashvaikalik Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunhansvijay, Bhavyasundarvijay
PublisherKamal Prakashan Trust
Publication Year2009
Total Pages326
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & agam_dashvaikalik
File Size8 MB
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