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________________ चउत्थ ठिइपयं देवाणं ठिइपण्णवणा श्री प्रज्ञापना सूत्र भाग १ जोइसिणीणं देवीणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं पलिओवमट्ठभागो, उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं पण्णासवाससहस्समब्महियं। अपज्जत्तजोइसियदेवीणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं। पज्जत्तयजोइसियदेवीणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं पलिओवमट्ठभागो अंतोमुहुत्तूणो, उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं पण्णासवाससहस्समब्महियं अंतोमुहुत्तूण। चंदविमाणेणं भंते! देवाणंपुच्छा।गोयमा!जहन्नेणंचउभागपलिओवम, उक्कोसेणं पलिओवमं वाससयसहस्समब्महियं। चंदविमाणेणं भंते! अपज्जत्तयदेवाणं पुच्छा। गोयमा।जहन्नेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं। पज्जत्तयाणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं चउभागपलिओवमं अंतोमुहुत्तूणं, उक्कोसेणं पलिओवमं वाससयसहस्समब्भहियं अंतोमुहुत्तूणं। चंदविमाणे णं देवीणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं चउभागपलिओवम, उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं पन्नासवाससहस्समब्भहियं। अपज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा। गोयमा जहन्नेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं। पज्जत्तियाणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं चउभागपलिओवमं अंतोमुहुत्तूणं, उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं पन्नासवाससहस्समब्भहियं अंतोमुहत्तूणं। सूरविमाणे णं भंते! देवाणं केवइयंकालं ठिई पन्नत्ता? गोयमा! जहन्नेणंचउभागपलिओवमं, उक्कोसेणं पलिओवमं वाससहस्समब्भहियं। अपज्जत्तयाणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं। पज्जत्तयाणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं चउभागपलिओवमं अंतोमुहुत्तूणं, उक्कोसेणं पलिओवमं वाससहस्समब्भहियं अंतोमुहुत्तूणं। सूरविमाणे णं भंते! देवीणं पुच्छा। गोयमा!जहन्नेणंचउभागपलिओवमं, उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं पंचहिं वाससएहिमब्भहियं। अपज्जत्तियाणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं। पज्जत्तियाणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं चउभागपलिओवमं अंतोमुहत्तूणं, उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं पंचहिं वाससएहिमब्भहियं अंतोमुहत्तूणं। गहविमाणे णं भंते! देवाणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं चउभागपलिओवमं, उक्कोसेणं पलिओवमं। अपज्जत्तयाणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं। पज्जत्तयाणं पुच्छा। गोयमा! जहन्ने चउभागपलिओवमं अंतोमुहुत्तूणं, उक्कोसेणं पलिओवमं अंतोमुहत्तूण। गहविमाणे देवीणं पुच्छा। गोयमा!जहन्नेणंचउभागपलिओवमं, उक्कोसेणं अद्धपलिओवम। अपज्जत्तियाणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेण वि उक्कोसेणं वि अंतोमुहत्तं। पज्जत्तियाणं पुच्छा।गोयमा!जहन्नेणंचउभागपलिओवमं अन्तोमुहत्तूणं, उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं अन्तोमुहुत्तूण। नक्खत्तविमाणे देवाणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं चउभागपलिओवमं, उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं। अपज्जत्तयाणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं। पज्जत्तयाणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं चउभागपलिओवमं अंतोमुत्तूणं, उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं अंतोमुत्तूणं। नक्खत्तविमाणे देवीणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं चउभागपलिओवमं, उक्कोसेणं साइरेगं चउभागपलिओवमं। अपज्जत्तियाणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं। पज्जत्तियाणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं चउभागपलिओवमं अन्तोमुत्तूणं, उक्कोसेणं साइरेगं चउभागपलिओवमं अन्तोमुहुत्तूण। ताराविमाणे देवाणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं अट्ठभागपलिओवमं, उक्कोसेणंचउभागपलिओवमं। अपज्जत्तयाणं पुच्छा। गोयमा!जहन्नेण वि उक्कोसेण वि अन्तोमुहत्तं। पज्जत्तयाणं पुच्छा। गोयमा!जहन्नेणंपलिओवमट्ठभागअन्तोमुहुत्तूणं, उक्कोसेण चउभागपलिओवमं अन्तोमुहुत्तूणं। ताराविमाणे देवीणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं पलिओवमट्ठभाग, उक्कोसेणं साइरेगं अट्ठभागपलिओवमं। तारा विमाणे अपज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं। पज्जत्तियाणं देवीणंपुच्छा। गोयमा! 245
SR No.005761
Book TitlePragnapana Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMunichandrasuri, Jayanandvijay
PublisherGuru Ramchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages554
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & agam_pragyapana
File Size15 MB
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