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________________ प्रथम पद मणुस जीव पण्णवण्णा श्री प्रज्ञापना सूत्र भाग १ य बुद्धबोहिय़छउमत्थखीणकसायवीयराय-चरित्तारिया य। से किं तं सयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरायचरित्तारिया ? सयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयराय चरित्तारिया दुविहा पन्नत्ता । तं जहापढमसमयसयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य अपढमसमयसयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरायचरित्तारिया या अहवा चरिमसमयसयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य अचरिमसमयसयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य से त्तं सयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरायचरित्तारिया से किं तं बुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीयरायचरित्तारिया । बुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीयरायंचरित्तारिया दुविहा पन्नत्ता । तं जहा- पढमसमयबुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य अपढमसमयबुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीयरायचरित्तारिया या अहवा चरिमसमयबुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य अचरिमसमयबुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य । से तं बुद्धबोहियछउमत्थखीण-कसायवीयरायचरित्तारिया से तं छउमत्थखीणकसाय- वीयरायचरित्तारिया । से किं तं केवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया? केवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया दुविहा पन्नत्ता । तं जहा - सजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य अजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य। से किं तं सजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया ? सजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया दुविहा पन्नत्ता। तं जहा-पढमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य अपढमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया या अहवा चरिमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य अचरिमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य। से तं सजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया । से किं तं अजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया ? अजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया दुविहा पन्नत्ता। तं जहा-पढमसमयअजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य अपढमसमयअजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया या अहवा चरिमसमयअजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य अचरिमसमयअजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य से त्तं अजोगिकेवलिखीणकसायSatara रित्तारिया से तं केवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया से तं खीणकसायवीयरायचरित्तारिया । से तं वीयरायचरितारिया । अहवा चरित्तारिया पंचविहा पन्नत्ता । तं जहा - सामाइ अचरित्तारिया, छेदोवट्टावणीयचरित्तारिया, परिहारविसुद्धियचरित्तारिया, सुहुमसंपरायचरित्तारिया, अहक्खायचरित्तारिया य। से किं तं सामाइयचरित्तारिया ? सामाइयचरित्तारिया दुविहा पन्नत्ता । तं जहा - इत्तरियसामाइयचरित्तारिया य आवकहियसामाइयचरित्तारिया य । सेत्तं सामाइयचरित्तारिया । से किं तं छेदोवद्वावणियचरित्तारिया ? छेदोवद्वावणियचरित्तारिया दुविहा पन्नत्ता । तं जहा - साइयारछेदोवद्वावणियचरित्तारिया य निरइयारछेदोवद्वावणियचरित्तारिया य। से त्तं छेदोवद्वावणियचरितारिया । से किं तं परिहारविसुद्धियचरित्तारिया ? परिहारविसुद्धियचरित्तारिया दुविहा पन्नत्ता । तं जहानिव्विस्समाणपरिहारविसुद्धियचरित्तारिया य निव्विट्टकाइयपरिहारविसुद्धियचरित्तारिया य से त्तं परिहार विसुद्धियचरित्तारिया। किं तं सुहुमसंपरायचरित्तारिया ? सुहुमसंपरायचरित्तारिया दुविहा पन्नत्ता । तं जहा - संकिलिस्समा - 87
SR No.005761
Book TitlePragnapana Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMunichandrasuri, Jayanandvijay
PublisherGuru Ramchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages554
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & agam_pragyapana
File Size15 MB
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