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૩૦૬ આવશ્યકનિયુક્તિ હરિભદ્રીયવૃત્તિ અકારાદિક્રમ उप्पण्णनाणरयणो.... भा.३५॥ | उसभो सिद्धत्थवर्णमि .... ॥२३०॥ | एक्कारस उगणहरा ..... ॥२६९॥ उप्पत्तिआ १ वेण०..... ॥९३८॥ | उसिउस्सिओ अ तह ..... ॥१४६१॥ | एक्कारसवि गणहरा..... ॥५९२॥ उप्पत्ती(१) निक्खे०..... ॥८८७॥ | उस्सगे निक्खेवो ...... प्र.॥ | एक्केक्कीय दिसाए ..... ॥५६॥ उप्पन्नाऽणुप्पन्नो ..... ॥८८८॥ | उस्सग्ग विउस्सरणु०..... ॥१४५३॥ | एक्केक्को य सयविहो.... ॥७५९॥ उप्पन्नाणुप्पन्नं कया०.... भा.१७५॥ | उस्सग्गेणवि सुज्झइ ...... ॥१४२८॥ | एगं किर छम्मासं .... ॥५२९॥ उप्पायट्ठिइभंगाइप०..... ॥ध्या.७७॥ | उस्सन्नकयाहारो..... ॥१२६८॥
| एगं पडुच्च हिट्ठा ..... ॥८९९॥ उभयं अणाइ०..... भा. १७३॥ | उस्सारियेंधणभरो...... ॥ध्या.७३॥ | एगंतमणावाए ...... पा.७४॥ उमाग्गदेसणाए ...... ॥११५३॥ | उस्सास न निलं भइ ...... ॥१५१२॥ | एगंतमणावाए ...... पा. ७६।। उम्मायं च लभेज्जा ...... ॥१४१५॥ | उस्सिअनिसन्नग ..... ॥१४६३॥
एगते य विवित्ते.... ॥५४२॥ उम्मुक्कमणुम्मुक्के .... ॥८२९॥
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एगग्गस्स पसंतस्स न.... ॥६९३॥ उम्हासेसोवि सिही ...... ॥१४८६॥ | ऊणगसयभागेणं.... ॥१११९॥
| एगट्ठियाणि तिण्णि..... ॥१२९॥ उवओग पडुच्चंतो०.... ॥८९४॥ | ऊरू सु उसभलंछण .... ॥१०८०॥
| एगत्ते जह मुईि..... ॥१०३६॥ उवओगदिदुसारा..... ॥९४६॥ ऊससिनीससिअं..... ॥२०॥
| एगनिक्खमणं चेव, .... ॥१२०५॥ उवओगलक्खण..... ॥ध्या.५५॥ | ऊसासग णीसासग ...... ॥८१४॥
एगपएसोगाढं.... ॥४४॥ उवगरणमि उजा .... पा. ७८॥ | ऊहाए पण्णत्तं.... भा. १४७॥
| एगविहं दुविहेणं ..... ॥१५६२॥ उवणयणं तु कलाणं.... भा. २३॥ . [ए]
| एगा जोअणकोडी..... ॥९६२॥ उवमारू वगदोसाऽनिद्देस.... ॥८८४॥ | एतं महिड्वियं ...... ॥५६२॥
|एगा य होइ रयणी ...... ॥९७३॥ उरि आयरियाणं...... पा.५०॥ | एए कयंजलिउडा भत्ती.....॥३३०॥
| एगा हिरण्ण० ॥भा. ८२॥ उववाओ सव्वडे.... ॥१८५॥ | एए खलु पडिसत्तू ... भा.४३॥ उवसंपन्नो जं कारण..... ॥७२०॥ | एए चउदस सुमिणे.... भा.४७।।
एगा हिरण्णकोडी ...... ॥२१७॥
एगेंदियनोएगेंदियपारि०....पा.२॥ उवसंपया य.... ॥६६७॥ | एए चोद्दस सु....... भा. ५७॥
॥१३३०॥ उवसंपया य..... ॥६९८॥ | एए चोद्दससुमि०.....
एगेण तोसियतरो....
भा. ५५॥ उवसामं उवणीआ..... ॥११८॥ | एए ते पावाही ....... ॥१२६३॥
| एगो अ सत्तमाए .... ॥४१३॥ उवहयमइविण्णाणो ..... ॥५०६॥ | एए देवनिकाया ....
| एगो काओ दुहा...... ॥१४४६॥
॥२१५॥ उसभचरिआहिगारे... ॥२०८॥ | एए देवनिकाया० भा. ८७॥
| एगो भगवं वीरो ..... ॥२४॥ उसभजिणसमुट्ठाणं .... ॥३१३॥ | एएच्चिय पुव्वाणं...... ॥ध्या.६४॥
| एंगो भयवं वीरो..... ॥३०८॥ उसभस्स उपारणए,.... ॥३२०॥ | एएसामन्नयरेऽस०...... ॥१४०३॥
एताई अकुव्वंतो ...... ॥११३०॥ उसभस्स कुमारत्तं ..... ॥२७७॥ | एएसामन्नयरेऽस०...... ॥१४०८॥
| एतेसिं निज्जुत्ति..... ॥८६॥ उसभस्स पुरिमताले .... ॥२५४॥ | एएसिमसंखिज्जा,.... ॥५१॥
एतेहि कारणेहिं ...... ॥८४२॥ उसभस्स पुव्वलक्खं ..... ॥२७२॥ | एएस पढमभिक्खा ..... ॥३२६॥ | एत्थं पुण अहिगारो.... ॥७३३॥ उसभस्स पुव्वलक्खं .... ॥३००॥ | एएहिं अद्धभरहं .... ॥३६४॥
एत्थ उ जिणवयणाओ.... ॥७१७॥ उसभे १ सुमित्त० ..... ॥३९९॥ | एएहिं अहं खइओ ..... ॥१२६५॥ | एत्थ पढमो चरित्ते ..... ॥१५२९॥ उसभे भरहो अजिए ..... ॥४१६॥ | एएहिं छहिं ठाणेहि.... भा. २५४॥ | एत्थ य थलकरणे ..... पा.६३॥ उसभो अविणीआए ..... ॥२२९॥ | एएहिं जो खज्जइ ..... ॥१२६४॥ | एत्थ य पओअ०..... ॥१०१०॥ उसभो वरवसभगई .... ॥३१६॥ | एएहिं दिट्ठिवाए .... ॥७६०॥ | एमेव अरजिणिदस्स ॥२९४॥
+ १४५3 पछी..