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________________ (१२८) आ स्वरोदयज्ञानमां बताव्या प्रमाणे न्यायमार्गनी रीते कार्यों करवा; जेथी ते सिद्ध थशे. आ ज्ञाननो उपयोग निदित कार्यमा करवाथी उलटुं अनिष्ट परिणाम आधे छे ए वात खास लक्षमा राखवानी छे. विचार करवाथी जणाय छे के-स्वरोदयनी विद्या पवित्र अने आत्मानुं कल्याण करवावाळी छे. तेनो अभ्यास करीने पूर्वकाळना महानुभावो पोताना आत्मानुं कल्याण करी अविनाशी पदने प्राप्त करता हता. श्रीजिनेन्द्रदेव अने गणधर महाराज ए विद्याना पूरा ज्ञाता हता, अर्थात् तेओ ए विद्याना प्राणायामादि सर्व अंग-उपांगादिने सारी रीते जाणता हता. श्री भद्रबाहुस्वामी चौद पूर्व- अंतर्मुहूर्त्तमां पर्यालोचन करी जवा माटे महाप्राणध्याननी साधना करता हता, ए वात अनेक स्थळे जणावेली छे. इतिहासर्नु अवलोकन करवाथी जणाय छे केजैनाचार्य श्री हेमचन्द्रमरितथा दादा तरीके ओळखाता आचार्य श्री जिनदत्तमरि विगेरे ए विद्याना पूरेपूरा अभ्यासी हता. त्यारपछी अत्यारथी सो-बसो वर्ष अगाउ श्री आनंदघनजी महाराज, चिदानंदजी महाराज, ज्ञानसारजी महाराज तथा · उपाध्यायजी
SR No.005739
Book TitlePadyavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKarpurvijay, Kunvarji Anandji
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year1995
Total Pages376
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size16 MB
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