SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 309
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ७४ ) चंद्रतिथिमें चंद्र स्वर, सूरतिथि वहे सूर | कायामें पुष्टि करे, सुख आपत भरपूर ॥ २६ ॥ चंद्रतिथिमें आय जो, भानु करत प्रकाश । तातें क्लेश पीडा हुवे, किंचित् वित्तविनाश ॥ २७ ॥ सूरज तिथि पडिवा दिने, चले चंद्र स्वर भोर । पीड कलह नृप भय करे, चित्त चंचल चिहुं ओर ॥ २८ ॥ दोउं पक्ष पडिवा दिने, सुखमन स्वर जो होय | लाभ हा सामान्यथी, ते हिचे करी जोय ॥ २९ ॥ वृश्चिक सिंह वृष कुंभ पुन, शशि स्वरनी ए राश । चंद्रजोग इणके मिलत, शुभ कारज परकाश ॥ ३० ॥ । कर्क मकर तुल मेष पुन, चर राशि ए चार । रवि संग ए संचरत, चर काजे सुखकार ॥ ३१ ॥ मीन मिथुन धन कन्यका, द्विस्वभाव ए जान । सुखमन स्वरसुं मिलत है, काज करत होय हान ॥३२॥ शशि सूरज के मास इम, भिन्न भिन्न करी जाण । राशि वfर्गत दिनकी, अधिक भेद मन आण ॥३३॥ प्रश्न करणकुं कोउ नर, aaa हिस्दे धार । पृच्छक नरनी दिशितणो, निर्णय कहुं विचार ||३४||
SR No.005739
Book TitlePadyavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKarpurvijay, Kunvarji Anandji
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year1995
Total Pages376
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy