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कृष्णपक्षस्वामी रवि, शुक्लपक्षपति चंद | तिथिभाग इनका लहि, कारज करत आनंद ॥ २० ॥ कृष्णपक्षकी तीन तिथि, प्रथम रविकी जान । तीन शशीकी फुनि तीन रवि, इण अनुक्रम पहिचान ।। २१ शुक्लपक्षकी तीन तिथि, चंदतणी कही मित्त । फुन रवि फुन शशि फुन रवि, शशि गिणवाकी रीत ॥ २२ ॥
॥ छप्पय छंद ॥ मंगल शनि आदित्य, वार स्वामी रवि जाणो । सुरगुरु बुध अरु सोम, शुक्रपति चंद वखाणो ॥ इणविधि स्वर तिथि वार, भिन्न कर नक्षत्र पिछाणो । शुभ कारजके योग्य, सकल इणविधि मन आणो ॥ निरगम सुरगम विध, भाव इण विधक्रे लेखो । तत्तणो परकाश, सुधारस इम तुम देखो || २३ ॥
॥ दोहा ॥
प्रातः सूर जो होय |
कृष्णपक्ष एकम दिने, तौ ते पक्ष प्रवीण नर, आनंदकारी जोय ॥ २४ ॥ शुक्लपक्षके आदि दिन, जो शशि स्वर उद्योत । तो ते पक्ष विचारीए, सुखदायक अति होत ॥ २५ ॥