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॥ श्रीसच्चिदानंदाय नमः ॥ श्री चिदानंदजी अपरनाम श्रीकपूरचंदजी महाराजकृत goodcomoooooooora १ स्वरोदयज्ञान Brocococcoococcocox
॥ छप्पय छंद ॥ नमो आदि अरिहंत, देव देवनपति राया। जास चरण अवलंब, गणाधिप गुण निज पाया ॥ धनुष पंचशत मान, सप्त कर परिमित काया । वृषभ आदि अरु अंत, मृगाधिप चरण सुहाया ॥ आदि अंत युत मध्य, जिन चोवीश इम ध्याइए । चिदानंद तस ध्यानथी, अविचल लीला पाइए ॥१॥ इक कर वीणा धरत, इक कर पुस्तक छाजे । चंदवदन सुकुमाल, भाल जस तिलक विराजे ॥ हार मुकुट केयूर, चरण नूपुरधुनि वाजे । अद्भुत रूप स्वरूप, निरख मन रंभा लाजे ॥