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________________ ૧. લવાદી ચર્ચામાં આવેલા નિર્ણયને સમર્થક શ્રી અહરિથિભાસ્કર } * सत्यं जयति नानृतम् * काशी के सुप्रतिष्ठित विद्वानों की समिति द्वारा सम्पादित तथाकाशी एवं अन्यान्य नगरों के सैकड़ों महान् विद्वानों द्वारा समर्थित अर्हत्तिथिभास्कर " शासने वर्धमानस्य चिन्नस्वामि' पताकया। ततन्तमो निराकर्तुमुदगादेष 'भास्करः ॥" इस पुस्तक में म० म०प० श्रीचिन्नस्वामी शास्त्री से रचित उस “शासनजयपताका" नामक व्यवस्था का खण्डन अनेक अकाट्य शास्त्रीय प्रमाणों और तर्कों के आधार पर बडे विस्तार और विवेचन के साथ किया गया है, जिसे शास्त्री जी ने जैनपर्वतिथियों के क्षय-वृद्धिविषयक विवाद में पूना के प्रसिद्ध विद्वान् डाक्टर पी० एल० वैद्य महोदय-द्वारा मध्यस्थ के अधिकार से दिये गये निर्णय' के विरोध में लिखा था। प० चिन्नस्वामी जी ने प्रस्तुत विषय की पूरी जानकारी कराये बिना ही अपनी व्यवस्था पर जिन विद्वानों के हस्ताक्षर प्राप्त किये थे उनमें से जिन जिन सज्जनों के समक्ष यह पुस्तक उपस्थित की जा सकी उन सभी लोगों ने इसमें प्रतिपादित तथ्यों से प्रभावित होकर अपने पूर्वमत को बदल कर इसके पक्ष में सम्मतियाँ दी है । संयोजक - राजनारायण शुक्ल. शासनजयपताका-परीक्षणपूर्वकपर्वतिथिक्षयवृद्धिविषयकजैनशास्त्रीयसिद्धान्तनिरूपणाय संयोजितायाः विद्वत्समितेः सदस्या "अर्हत्तिथिभास्कर "सम्पादकाः१. श्रीराजनारायणशर्मपाण्डेयः शास्त्राचार्यः शास्त्रार्थमहारथः (प्रोफेसर, काशीहिन्दूविश्वविद्यालय ) २. श्रीरामव्यासपाण्डेयः ज्योतिषाचार्यः, ज्यौतिषतीर्थः, ज्यौतिषमार्तण्डः (अध्यक्ष - ज्योतिषविभाग, काशीहिन्दूविश्वविद्यालय, प्रधानसम्पादक-विश्वपञ्चाङ्ग, सदस्य-कॉर्ट, कौन्सिल, सिनेट, फेकल्टी, बनारस-हिन्दूयूनिवर्सिटी, मन्त्री त्यसम्मेलन, संभापति-पञ्चाङ्गशोधनसमिति, प्रधानमन्त्री-सरयूपारीणपण्डितपरिषद्, निरीक्षककाशीविद्वत्परिषद्, अध्यक्ष-बनारस-जिला-संस्कृताध्यापकसङ्घ ।) ३. श्रीसत्यनारायणशास्त्री पाण्डेयः (प्रोफेसर, काशीहिन्दूविश्वविद्यालय, संरक्षक-काशीविद्वत्परिषद्, सदस्यकॉर्ट, बनारसहिन्दूयूनिवर्सिटी, सभापति-सरयूपारीणपण्डितपरिषद्, उपसभापति-अखिलभारतवर्षीयसंस्कृतसाहित्यसम्मेलन।) ४. श्रीविश्वनाथशास्त्री वेदधर्मशास्त्राचार्यः (प्रोफेसर-काशीहिन्दूविश्वविद्यालय, सदस्य-कॉर्ट, फेकल्टी, बनारसहिन्दूयूनिवर्सिटी, मन्त्री--अखिलभारतवर्षीयसनातनधर्ममहासभा-विद्वत्परिषद् ।) ५. श्रीवसिष्ठदत्तमिश्रः धर्मशास्त्राचार्यः (प्रोफेसर-बनारसहिन्दूयूनिवर्सिटी ) ६. श्रीरामाज्ञापाण्डेयः व्याकरणाचार्यः बिहारप्रान्तीयशिक्षाविभागात् प्राप्तावकाशः (R. P. E.S.) ( अध्यक्ष–रिसर्चविभाग, गवर्नमेण्ट संस्कृत कालेज़, बनारस ।) ७. श्रीपञप्रसादभट्टराईः न्यायशास्त्राचार्यः (न्यायशास्त्रप्रधानाध्यापकः, गोयनका-संस्कृतमहाविद्यालय, काशी. सदस्य-संयुक्तप्रान्तीय इण्टरमीडिएट बोर्ड ।) ८. सुगृहीतनामधेयविद्वद्वरधीहषीकेशोपाध्यायात्मजः श्रीनागेश उपाध्यायः एम० ए० आनरेरी मजिस्ट्रेट, ( सदस्य-कॉट, बनारसहिन्दूयूनिवर्सिटी, प्रधानमन्त्रीअखिलभारतीयरामायणमहासम्मेलन, प्रकाशक-" संस्कृतरत्नाकर" सम्पादक-सुप्रसिद्ध " श्रीकाशीविश्वनाथपञ्चाङ्ग"।) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005673
Book TitleTithidin ane Parvaradhan tatha Arhattithibhaskar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Pravachan Pracharak Trust
PublisherJain Pravachan Pracharak Trust
Publication Year1977
Total Pages552
LanguageGujarati, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size15 MB
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