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कहे छे, तेनो अभ्यास तमारे कोई खंडानाचार्यनी कदमपोशी करीने मेलववो जोईये. आगल चालतां लेखक केटलाक दाखला लखी पासत्थाओनी जाज्वल्यमान अग्निमांघी होमवा जेवुं क छे. ते आछे - चोथा आरामां नंदीषेण नामना मुनि चारित्र थी चुकी ग्रहवास कर्यो - मज आर्द कुमार मुनि चारित्र मुकी ग्रहवास कर्यो तेमज - कुंडरीक मुनि संयम मूकी ग्रहवास कर्यो इत्यादि आ जोगीयो चोथा आरामां थया छे.
पाठको ! आ दृष्टान्तो आजनी रांडी रांड पासे बेसी क्रिया: करावनार पासत्थाओ संयमना साधक छे के बाधक छे ! ज्यारे चोथा आराना आवा मुनि थयाना दाखलाओ आगल मूकी आगला कालना केटलाक साधुओने थयेलो संनीपातनो रोगने दूध साकर जेवो बनाव शा माटे बनावो छो ? शुं आ चौवीसीमां तमने एवाज दाखला मल्या छे ? ज्यां धन्ना मुनि, मेतारज मुनि, खंधक मुनि, जेवा आत्म अटल शक्तिवालाओ दाखला केम नथी जोता ?
आगलं चालतां गजसुकुमाल मुनि अग्निने संघट्टे मोक्ष गया इत्यादि लखे छे पण आ दृष्टान्तथी आजना साधुओने अग्निनो आरंभ करवानो के उपाश्रयमां दीवा राखवानो उपदेश करो छे तेम नथी, परन्तु ते महापुरुषो मरणांत कष्टमां पण अडोल रह्या छे तेम समजवानुं छे.
आगल चालतां साधु दोषित आहार लेवे ते श्रावकने तारखा माटे, अने श्रावक साधुने दोषित आहार देवे ते अल्प पाप अने बहु
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