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अप्रतिबंध वायु परे. निरालंबण हो जाणे आकाश. अप्रमत्त भारंडपरे, केई करे हो कर्मोनो नासः ॥ ० ॥ ७ ॥
बादि रिपुने दमे, पीवे हो मुनि उपशम रस ॥ शत्रु मित्रने सम गणे व्याप्यो हो भूमंडल जस. । सु० ॥८ ॥ याद राखशो धनवाननुं नाम लेवाथी धनवान नथी बनता, • परन्तु पुरुषार्थ करवाथीज धनवान बने छे.
आगळ चालतां लखे छे के बधा साधु एक सरखा नथीxx सौमां पंचाणु टका जिनाज्ञा ना पालक छे इत्यादि. बान्धवो ! अमे क्यारे कहीये छे के बधा साधु सरखा थाय छे, तेमज बधा साधु दोषित छे. जुवो मेजर नामा ढाल ३१ मी.
साधु नही सहु सारखा, श्रावक नहीं सम तुल्य. सामान्य विशेष क्रिया करे, पामी धर्म अमूल्य ॥ १॥
तीर्थ उद्धारक केई मुनि, केई हो करे आगमोद्धार ॥ शासन प्रेमी केई मुनि, केई हो करे क्रिया उद्धार ॥ सु० २ ॥ श्रद्धालु श्रावक घणा, शासन उपर हो जेने पूरो प्रेम ॥ देव गुरुभक्ती करे, रुडा पाले हो कीधा व्रतने नेम ॥ सु० ३ ॥
हवे जरा चस्मा उतारीने जुवो के तमे केबी वातनु खंडन करवा तैयार थया छो ? केवल पापी २ करवाथीज खंडन थई जाय छे ! -माई खंडन करवा तो बाहर पड्या छो परन्तु खंडन ने मंडन कोने
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