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माटे तेमां सत्य शं छे ते पाठको पोतानी मेलेन जोई लेशे, पण एटलुं तो म्हारे पण कहq जोईये के आ वात जैनोमां प्रसिद्ध छे के चैत्यवासी थया हता, अने तेओनी घणी खरी प्रवृत्तिओ आज सुधी शासनने नुकसान कारक थई रही छे. आ वात माटे प्राचीन शास्त्र सिद्ध छे, तो पछी आजना विद्वानो केवी रीते मानी शकसे के साधुओ लगार मात्र पण शिथिलाचारी ( चैत्यवासी) न होता थया, अगर एमज होय तो पछी सेंकडों आचार्यों सेंकडो ग्रन्थोमां लखी गया छे के चैत्यवासीओ आ शासनमां कांटा खीला जेवा थया छे. त्यारे शुं पूर्वाचार्यों खोटु लखी गया हशे? के ते ग्रन्थो जूठा ज हसे ? परन्तु चैत्यवासीओनी हीमायत करवावाला आले पण केटलाक देशोमां ते प्रवृत्तिने पुनर्जन्म आपे छे, ते काई छानी बात नथी.
आगल चालतां हालना साधुओना गुण लख्या छे तेमां पण भगवाननी आज्ञा पालक लगार मात्र दोष सेवता नथी इत्यादि विशेषणो थी भूषित कयों छे. अगर तमे एमज कहशो के अमे उत्तम मुनियोना गुण लख्या छे, तो अमारे कहे जोईये के भाई अमे क्यां ना पाडीये छीये ? जुवो मेझरनामानी बीजी ढाल-यथा- ... अहो तपसी अहो संयमी, अहो ज्ञानी हो अहो ध्यानी तेह. अहो खंती अहो मुत्ती, अहो त्यागी हो वैरागीजेह ॥१०॥५॥ मेरु जिम अडोल छे, सायर जो जिम होय गंभीर. दिनमणी जेवा दीपता, निरमल हो गंगानो नीर ॥ सु०६॥
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