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________________ छे, जरा वीचार करजो के जैन मुनिओना नामथी जैनोमां नहीं पण अन्य समाजना लोकोमा पण मोटी छाप पडती हती, तेने बदले आज जैनोमां पण जम जेवा लागे छे ते शुं खेदनी वात नथी, एटलुंजनही, पण केटलाक लोको तो आ कलहप्रीय झघडा चारियोना नाम सांभलवामां पण मोटु पाप माने छे.. ___ अत्रे अमे एम कहेवा नथी मांगता के बधा साधु दोषित अने झघडा प्रिय छे, अथवा बधा साधु सरखा छ, अमे एटलुं कहीये छीए के पासत्याओनो पक्ष करवाथी सदाचारीओनुं महत्व ओछु थाय छे, वळी पासत्था अने सदाचारिओ साथे रहेवाथी भोला लोको एकन सरखाज मानीने खरा मार्गथी दूर थता जाय छे, एटला माटे. पासत्थाओने जुदा पाडवा जोईये, तेथी सदाचारीयो पर लोकनी श्रद्धा मजबूत रहे, एटला माटेन पूर्वाचार्यों वखतो वखत क्रियोद्धार करता आन्या छे. आ समय पण क्रियोद्धार करी पासत्थाओने तेनाथी जुदा पाडवानी घणी जरुरत छे. ने अमारी पण एवीन भावना हती, पण आ धोर अंधकारमा म्हारो पोकार सुणे कोण, तेमन बीजी तरफ आ शासननी पडती दशा जोवाई नहि त्यारे न छुटके पूर्वाचार्यो ने पगले चालवानो स्वीकार करी श्री सीमंधर स्वामीने विनंति रुपे कागळ, हुन्डी, पेठ, परपेठ अने मेजरनामुं, लखी में म्हारा दाजता दिलने शान्त कयै छ । ते मेझरनामामां सदाचारीओ समयानुसार संयम तपमा खप करनारा आज भारत भूमिपर विचरे छे, तेओने वारंवार नमस्कार करेल छे, अने जे वर्तमानमां निंदनीक वातावरणनी धमा Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005581
Book TitleMajernamu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year
Total Pages144
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
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