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आर्य प्रवर आचार्य वर, कोविद कुल श्रृंगार । सरसस्वती के वरद सुत, स्पष्ट प्रवचनकार ॥ धर्म धुरन्दर धर्मरत, जिनाकाश भास्वान । श्रीमद् कल्पयशसूरि, जगवल्लभधीमान ॥
પ્રસ્તુત પુસ્તકના લેખક पू.मा. श्री स्पयशसूरीश्वर म. सा.
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