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यह
fs 'ari हवा एवं' araावरण है' और
वह 'चाँद नहीं हो सकता ।
( 23 ) चीन जैसे शक्तिशाली राष्ट्र भी जहां सबसे अधिक मानव संख्या पृथ्वी की रहती है, वह भी एपोलो चाँद पर पहुंचा इसका समर्थन नहीं करता अर्थात् विश्व की आधी से उपर जनसंख्या इस वात का समथन नहीं करती है ।
बिना
(24) जब चंद्रमा पर मिट्टी और धूल के सिवा कुछ नहीं है, तो ऐसे उदेश्य की चन्द्र - यात्रा पर करोडों डालर द्वारा खर्च करने का प्रदर्शन करना तथा लाखों रुपए की ड्रेस एपोलो यात्रियों की तथा लाखों की संख्या में कल-पुर्जे 'एपोलो' यान के बनाकर लोगों को भ्रम में डालना कल्पना की उड़ान के सिवा कुछ नहीं । ताकि 'अमेरिका' इस प्रकार के खर्च का बहुत बड़ा प्रदर्शन बताकर अन्य लोगों का शोध कराने में भय उत्पन्न कर अपनी वास्तविकता को छुपा ले ।
( 25 ) इस प्रकार 'केप केनेडी नासा को ' भेजे गये प्रश्न का उत्तर नहीं आना भी यह सूचित करता है कि उनकी खोज में कुछ असली बात दूसरी है, या वास्तविक तथ्यों पर पर्दा डालना है ।
उक्त सभी कारणों पर अगर कोई भी चिंतनशील व्यक्ति विचार करे तो यह साफ हो जाता कि एपोलो यान चंद्रमा पर पहुंचा ही नहीं, परंतु वह पृथ्वी के १९० मील ऊचाई पर ढाई लाख मील तिरछा जाकर पृथ्वी के ऐसे अज्ञात भाग ( जो पर्वतीय प्रदेश हो) पर जा कर वापस आया ।'
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उपसंहार
अन्त में यह कहना है कि हजारे। लाखों डालर के लालच में कार्य करने वाले वैज्ञानिक लोगों की अपेक्षा निःस्वार्थ, विश्व कल्याण की भावना में तत्पर चिन्तनशील त्यागी तपस्वी एवं संयमशील महर्षियों ने जां कुछ भी अपनी मौलिक शोध एवं तत्वज्ञान के आधार पर वर्णित किया है कि 'मानव का चाँद तक पहुंचना दुर्लभ है, असत्य नहीं हो सकता ।
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'अमेरिका' का यह अवकाश संशोधन का कार्यक्रम एक प्रकार का जासूसी कार्य भी कहा जाय, तो अतिशयोकि नहीं होगी । बहुत ही गंभीरता पूर्वक विचार करने पर यह भी ज्ञात होता है कि सामूहिक रूप से भारतीय - प्रजा के सांस्कृतिक-तत्त्व को क्षीण करने के लिए विदेशी शासकों की कूटनीति के आधार पर विनियोजित यह कार्यक्रम है । जिसके परिणाम स्वरुप आज उनकी पद्धति से शिक्षित नवीन भारतीय प्रजा स्वयं विज्ञानवाद की चकाचौंध के कारण अपने ही मुख से अपनी अनमोल संपत्ति रूप तत्त्वज्ञान at निरर्थक और कल्पनामय मानने लग जायें ।
नोट- सभी जिज्ञासु बन्धुओं से अपेक्षा है कि वे यदि इस सम्बन्ध में विशेष जानना चाहें तो भूभ्रमणशेोध संस्थान द्वारा प्रकाशित 25 पुस्तके हैं उनका अध्ययन करें और शंकाओं के समाधान हेतु नीचे के पत्र व्यवहार करे ।
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